मौलाना साजिद रशीदी का छत्रपति शिवाजी और राणा सांगा पर विवादित बयान

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मौलाना साजिद रशीदी का छत्रपति शिवाजी और राणा सांगा पर विवादित बयान

दिल्ली में अखिल भारतीय इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज और राणा सांगा पर विवादित बयान दिया है। यह बयान हाल ही में राजस्थान में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन द्वारा की गई टिप्पणी के संदर्भ में आया है, जिससे सियासी माहौल गरमाया हुआ है।

मौलाना साजिद रशीदी का बयान

एएनआई से बातचीत करते हुए, मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, “शिवाजी महाराज ने मराठाओं के कई राजाओं को मारा था और उनके राज्य पर कब्जा किया था। शिवाजी महाराज की कोई इतनी बड़ी उपलब्धि नहीं है कि उन्हें इतना बड़ा बताया जाता है। भारत में महाराणा सांगा बाबर को लाया था और महाराणा सांगा ने कई राजपूत राजाओं को मारा था।”

रामजी लाल सुमन का बयान

राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने हाल ही में विवादित बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था, “भा.ज.पा. के लोग कहते हैं कि इनमें बाबर का डीएनए है। वे लोग यह बात हर जगह दोहराते हैं। मैं जानना चाहता हूँ कि बाबर को आखिर लाया कौन? इब्राहीम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा ने लाया था।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो भाजपा समर्थक राणा सांगा की औलाद हैं, जिसे गद्दार करार दिया।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

रामजी लाल सुमन के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता अमित मालवीय ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “तुष्टिकरण में लिप्त सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने सांसद रामजी लाल सुमन की ओर से महान वीर राणा सांगा को गद्दार कहने का समर्थन कर रहे हैं। यह सिर्फ राजपूत समाज ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज का अपमान है।”

कांग्रेस का रुख

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी इस विवाद पर सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि संसद में ऐसा प्रस्ताव लाया जाए, जिसमें महापुरुषों पर अमर्यादित टिप्पणी करने वालों की संसद सदस्यता रद्द की जा सके।

मौलाना साजिद रशीदी और रामजी लाल सुमन के बयानों ने राजस्थान और देशभर में राजनीतिक हलचल मचा दी है। इन बयानों ने छत्रपति शिवाजी महाराज और राणा सांगा जैसी ऐतिहासिक हस्तियों को लेकर विवाद को जन्म दिया है। अब यह देखना होगा कि इस विवाद पर राजनीतिक दल और सरकार किस तरह की कार्रवाई करते हैं।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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