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Miracle on the Tracks: Orphaned Baby Elephant Fights for Life

Dharmender Singh Malik
5 Min Read

ट्रेन दुर्घटना में माँ हथिनी की मौत, घायल बच्ची चमत्कारिक ढंग से बची, भारत के पहले हाथी अस्पताल में चल रहा उपचार!

उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क क्षेत्र में एक ह्रदय विदारक घटना में, एक तेज गति वाली ट्रेन ने एक हथिनी और उसकी बच्ची को टक्कर मार दी। इस दुखद हादसे में मां हथिनी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसकी बच्ची चमत्कारिक ढंग से बच गई।

माँ की मृत्यु, बच्ची की चोट

उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क क्षेत्र में एक हृदय विदारक घटना में, एक तेज गति वाली ट्रेन ने एक हथिनी और उसकी बच्ची को टक्कर मार दी। इस दुखद हादसे में मां हथिनी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसकी 9 महीने की बच्ची चमत्कारिक ढंग से बच गई।

घायल बच्ची हथिनी का नाम “बानी” रखा गया है, जिसका अर्थ है “धरती माता”। बानी की रीढ़ और कूल्हे के जोड़ों में चोटें आईं हैं।

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तत्काल सहायता और उपचार

उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों और वाइल्डलाइफ एसओएस ने तत्काल बानी को बचाया और उसे मथुरा स्थित भारत के पहले हाथी अस्पताल में ले जाया गया। वाइल्डलाइफ एसओएस के पशुचिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ. इलियाराजा ने बताया, “बानी के कमर के क्षेत्र में एक संक्रमित घाव है, जिसका इलाज किया जा रहा है। शुरुआत में रीढ़ की हड्डी में चोट का संदेह था, लेकिन उसकी पूंछ में हलचल, पाचन और शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली से संकेत मिलता है कि उसका शरीर इलाज पर अच्छी प्रतिक्रिया दे रहा है।”

संयुक्त प्रयास और आभार

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “हम घायल बानी को मथुरा के हाथी अस्पताल में स्थानांतरित करने हेतु अनुमति जारी करने के लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के आभारी हैं। उसे ठीक होने और जीवित रहने का हर मौका देने के लिए उच्च स्तर की पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा रही है।”

हाथियों की सुरक्षा

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने ट्रेन की टक्कर से होने वाले जानवरों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “ट्रेन की टक्कर से हर साल हजारों जानवर मारे जाते हैं। रेलवे देश भर में वन्यजीव गलियारों में गति को तुरंत कम कर सकता है, ताकि हाथियों और अन्य वन्यजीवों को बचाया जा सके।”

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बानी की कहानी

9 महीने की इस हथिनी की बच्ची का नाम “बानी” रखा गया है, जिसका अर्थ है “धरती माता”। दुर्घटना में घायल हुई बानी की रीढ़ और कूल्हे के जोड़ों में चोटें आईं हैं। वन विभाग के अधिकारियों और वाइल्डलाइफ एसओएस ने तत्काल उसे बचाया और मथुरा स्थित भारत के पहले हाथी अस्पताल में ले जाया गया।

बानी की कमर में एक संक्रमित घाव है, जिसका इलाज किया जा रहा है। शुरुआत में रीढ़ की हड्डी में चोट का संदेह था, लेकिन उसकी पूंछ में हलचल, पाचन और शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली से संकेत मिलता है कि उसका शरीर इलाज पर अच्छी प्रतिक्रिया दे रहा है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “हमें बानी को मथुरा के हाथी अस्पताल में स्थानांतरित करने हेतु अनुमति मिलने के लिए आभारी हैं। उसे ठीक होने और जीवित रहने का हर मौका देने के लिए उच्च स्तर की पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा रही है।

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बानी की देखभाल

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, “बानी को संक्रमण से बचाव के लिए हर दिन साफ किया जाता है, मालिश की जाती है और उसके घावों पर पट्टी बाँधी जाती है। उसके जोड़ों के व्यायाम के लिए लेजर थेरेपी और फिजियोथेरेपी भी प्रदान की जा रही है।”

हाथियों की रक्षा के लिए याचिका

वाइल्डलाइफ एसओएस ने ट्रेनों से हाथियों की मौत को रोकने के लिए एक याचिका शुरू की है। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 2010 और 2020 के बीच ट्रेन की टक्कर में लगभग 200 हाथी मारे गए। यह याचिका रेलवे को वन्यजीव गलियारों में गति कम करने, हाथियों के रेलवे ट्रैक पार करने की जानकारी प्राप्त करने और ट्रेन को सचेत करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने की मांग करती है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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