‘रिस्क लेने की मेरी क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हुआ’, जेरोधा के फाउंडर संग डेब्यू पॉडकास्ट में बोले PM मोदी

Raj Parmar
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‘रिस्क लेने की मेरी क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हुआ’, जेरोधा के फाउंडर संग डेब्यू पॉडकास्ट में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जेरोधा के फाउंडर निखिल कामथ के साथ अपने डेब्यू पॉडकास्ट में कई दिलचस्प बातें साझा की। इस दौरान उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों, असफलताओं और अनुभवों पर खुलकर बात की। पीएम मोदी ने स्वीकार किया कि उनकी जीवन यात्रा में कई झटके आए, लेकिन उन्होंने हर चुनौती को एक अवसर के रूप में देखा और उससे सीखने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी जीवन में रिस्क लेने की क्षमता का अभी पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है और इसमें अनगिनत संभावनाएं हैं।

पीएम मोदी ने साझा किया अपना बचपन और संघर्ष

पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वे छोटे थे, तब वे एक सैनिक स्कूल में दाखिला लेने की इच्छा रखते थे। उन्होंने बताया, “मैं प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था और अखबारों में सैनिक स्कूल के बारे में पढ़ा था। मैंने एक या डेढ़ रुपये के पार्सल में उस स्कूल के बारे में सारी जानकारी मंगवायी। मेरे गांव में रासबिहारी मनियार नाम के एक प्रिंसिपल थे, जिनसे मैंने यह जानकारी मांगी। वे बहुत दयालु थे और उन्होंने मुझे यह बताया कि इसके लिए परीक्षा और इंटरव्यू होता है।”

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प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि उनके पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि वे सैनिक स्कूल में दाखिला करवा सकें, और इस वजह से यह सपना अधूरा रह गया। लेकिन उन्होंने इस अनुभव से कभी हार नहीं मानी।

साधु जीवन जीने की इच्छा और जीवन में मिले झटके

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी साझा किया कि उनके मन में साधु बनने की इच्छा थी, और इसके लिए उन्होंने रामकृष्ण मिशन से जुड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “मैंने रामकृष्ण मिशन से जुड़ने का प्रयास किया, लेकिन कुछ नियमों के कारण मैं वहां फिट नहीं हो पाया। हालांकि, मैंने इससे कुछ नहीं सीखा और अपना सपना अधूरा छोड़ दिया।” यह भी एक और झटका था, लेकिन उन्होंने इस अनुभव को भी अपने जीवन का हिस्सा मानकर सीखा।

“गलतियां ही हमें सिखाती हैं

निखिल कामथ के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “मैंने अपनी जिंदगी में कई गलतियां की हैं और उनसे बहुत कुछ सीखा है। जब मैं आरएसएस में काम कर रहा था, तो एक बार जीप चलाते हुए मुझे एक आदिवासी क्षेत्र में यात्रा करनी थी। रास्ते में गाड़ी के पेट्रोल बचाने के चक्कर में मैंने गाड़ी बंद कर दी। इससे गाड़ी अनियंत्रित हो गई, लेकिन जैसे-तैसे हम बच गए।” पीएम मोदी का कहना था कि जीवन में गलतियों से ही लोग सीखते हैं और यही अनुभव उन्हें मजबूत बनाता है।

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कंफर्ट जोन से बाहर निकलने की आवश्यकता

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि उनका मानना है कि जीवन में प्रगति करने के लिए कंफर्ट जोन से बाहर निकलना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “जो लोग जीवन में कंफर्ट जोन से बाहर नहीं निकलते, वे समय के साथ कमजोर हो जाते हैं। एक बड़ा उद्योगपति भी अगर रिस्क नहीं लेता है तो वह आगे नहीं बढ़ सकता। जीवन में हर किसी को कंफर्ट जोन से बाहर निकलने की आवश्यकता है।”

पीएम मोदी की रिस्क लेने की क्षमता

पॉडकास्ट के दौरान निखिल कामथ ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या समय के साथ उनकी रिस्क लेने की क्षमता बढ़ी है? इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि मेरी रिस्क लेने की क्षमता का अभी तक पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हुआ है। मेरे अंदर अनगिनत संभावनाएं हैं, क्योंकि मैंने हमेशा अपने बारे में सोचा ही नहीं है। जो खुद के लिए नहीं सोचता, उसकी रिस्क लेने की क्षमता बेहिसाब होती है।”

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उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि कल क्या होगा, क्योंकि वे हमेशा देश के हित में सोचते हैं। उनके लिए जीवन में रिस्क लेना कोई कठिनाई नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी के जीवन से प्रेरणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह बातें उनके जीवन के संघर्षों, असफलताओं और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। उनके अनुभव यह बताते हैं कि सफलता पाने के लिए केवल संघर्ष और रिस्क लेने की भावना की आवश्यकता होती है। पीएम मोदी का यह विचार कि “गलतियों से सीखना” और “कंफर्ट जोन से बाहर निकलना” हर व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पॉडकास्ट में अपने जीवन के अनकहे पहलुओं को साझा किया और यह स्पष्ट किया कि जीवन में किसी भी असफलता को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। उनकी यह बातें हर व्यक्ति को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो।

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