नया किराया कानून 2025: अब बिना रजिस्ट्रेशन किराए पर घर दिया तो लगेगा भारी जुर्माना! जानिए क्या हैं नए नियम

Gaurangini Chaudhary
Gaurangini Chaudhary - Content writer
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नया किराया कानून 2025: अब बिना रजिस्ट्रेशन किराए पर घर दिया तो लगेगा भारी जुर्माना! जानिए क्या हैं नए नियम

नई दिल्ली: अगर आप मकान मालिक हैं और अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देने का मन बना रहे हैं, या आप एक किरायेदार हैं जो अपने लिए नया घर या फ्लैट ढूंढ रहे हैं, तो अब आपको पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहना होगा। किराया कानून 2025 के तहत अब सिर्फ ₹100 के स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट बनाकर काम नहीं चलेगा। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब हर रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड करवाना अनिवार्य होगा।

सरकार द्वारा जारी किए गए नए नियमों के अनुसार, अब केवल रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट ही कानूनी रूप से मान्य माना जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि अगर आप घर किराए पर देना या लेना चाहते हैं, तो आपको इस नई कानूनी प्रक्रिया को पूरा करना ही होगा, अन्यथा आपको जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

पहले क्या होता था?

अब तक, ज्यादातर लोग 11 महीने का एक सादा एग्रीमेंट बनाकर काम चला लेते थे। इस प्रक्रिया में न तो कोई सरकारी रजिस्ट्रेशन होता था और न ही ज्यादा डॉक्युमेंटेशन की आवश्यकता होती थी। हालांकि, इसी वजह से कई बार मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराये, प्रॉपर्टी के रखरखाव, या खाली करने जैसे मुद्दों पर विवाद उत्पन्न हो जाते थे। ऐसे मामलों में, साधारण एग्रीमेंट को कोर्ट में अक्सर सही मान्यता नहीं मिलती थी, जिससे विवादों का समाधान मुश्किल हो जाता था।

नया नियम क्या कहता है?

नए किराया कानून 2025 के तहत, यदि आप किसी को 11 महीने या उससे अधिक समय के लिए घर किराए पर दे रहे हैं, तो रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। कुछ राज्यों में तो यह नियम 1 साल से कम के एग्रीमेंट के लिए भी रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करता है।

इसका सीधा और स्पष्ट अर्थ है – अब बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी रेंट एग्रीमेंट कानूनी रूप से वैध नहीं होगा, और इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रावधान है।

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रजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी?

रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन कराना कई मायनों में मकान मालिक और किरायेदार दोनों के लिए फायदेमंद और सुरक्षित है:

  • कानूनी सुरक्षा: यदि भविष्य में किराए, प्रॉपर्टी या किसी भी अन्य मुद्दे पर कोई विवाद होता है, तो कोर्ट केवल रजिस्टर्ड एग्रीमेंट को ही कानूनी सबूत के तौर पर मानता है।
  • मौखिक वादों से बचाव: अब सिर्फ बातों पर भरोसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि हर शर्त और नियम कानूनी रूप से लिखित डॉक्यूमेंट में होगा।
  • दोनों पक्षों को फायदा: मकान मालिक को समय पर किराया मिलने की कानूनी गारंटी मिलती है, वहीं किरायेदार को बिना कारण निकाले जाने से सुरक्षा और तय अवधि तक शांतिपूर्ण ढंग से रहने का अधिकार मिलता है।
  • पारदर्शिता: रजिस्टर्ड एग्रीमेंट फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और अवैध कब्जों जैसे मामलों से बचने में मदद करता है, क्योंकि इसमें सभी विवरण सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होते हैं।

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया – ऑनलाइन और ऑफलाइन

सरकार ने इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों का विकल्प दिया है (हालांकि ऑनलाइन सुविधा सभी राज्यों में उपलब्ध नहीं है):

ऑफलाइन तरीका:

  1. आपको और किरायेदार दोनों को संबंधित सब-रजिस्ट्रार कार्यालय जाना होगा।
  2. अपने पहचान पत्र (आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी), प्रॉपर्टी डिटेल्स (जैसे बिजली बिल, टैक्स रसीद), पासपोर्ट साइज फोटो और गवाहों की जानकारी साथ ले जानी होगी।
  3. आवश्यक स्टाम्प शुल्क जमा करके, एग्रीमेंट पर दोनों पक्षों और गवाहों के हस्ताक्षर के बाद उसे रजिस्टर्ड किया जाएगा।

ऑनलाइन तरीका (जहां सुविधा उपलब्ध है):

  1. संबंधित राज्य की ई-रजिस्ट्रेशन वेबसाइट पर जाएं।
  2. अपनी प्रोफाइल बनाएं और प्रॉपर्टी तथा किरायेदारों की आवश्यक डिटेल्स भरें।
  3. आवश्यक स्टाम्प शुल्क ऑनलाइन भरें।
  4. ई-स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट तैयार करें और डिजिटल साइन करें।
  5. प्रक्रिया पूरी होने के बाद, आप घर बैठे ही अपना रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट डाउनलोड कर सकते हैं।

महिलाओं को क्या खास छूट मिलेगी?

यह एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है। यदि आप महिला मकान मालिक हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। सरकार ने स्टाम्प शुल्क में 1% की छूट दी है। इसका मकसद महिलाओं को प्रॉपर्टी और रियल एस्टेट से जुड़े फैसलों में ज्यादा भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें कानूनी रूप से सशक्त बनाना है।

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किस राज्य में क्या नियम और कितनी फीस?

भारत में हर राज्य के अपने विशिष्ट नियम और फीस संरचना होती है:

  • उत्तर प्रदेश और दिल्ली: 11 महीने से ज़्यादा की अवधि के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
  • राजस्थान: 1 साल से कम के एग्रीमेंट के लिए भी रजिस्टर्ड एग्रीमेंट अनिवार्य कर दिया गया है।
  • महाराष्ट्र: हर रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर करना जरूरी है, चाहे अवधि कुछ भी हो।
  • कर्नाटक और तमिलनाडु: ऑनलाइन रजिस्टर्ड एग्रीमेंट की सुविधा उपलब्ध है, जिससे प्रक्रिया आसान होती है।

स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस आमतौर पर प्रॉपर्टी की वैल्यू, मासिक किराए और एग्रीमेंट की अवधि पर निर्भर करती है।

  • 11 महीने तक के लिए स्टाम्प शुल्क ₹500 से शुरू हो सकता है।
  • 1 साल से ज़्यादा के लिए यह ₹2,000 से ₹20,000 या अधिक तक हो सकता है।
  • रजिस्ट्रेशन फीस सामान्यतः ₹1,000 से ₹5,000 तक हो सकती है।

कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स जरूरी होंगे?

रजिस्ट्रेशन के समय निम्नलिखित दस्तावेज आमतौर पर आवश्यक होते हैं:

  • मकान मालिक और किरायेदार दोनों का आधार कार्ड
  • दोनों पक्षों की पासपोर्ट साइज फोटो
  • प्रॉपर्टी डॉक्युमेंट्स (जैसे बिजली बिल, हाउस टैक्स रसीद, रजिस्ट्री कॉपी)
  • पहचान पत्र (जैसे पैन कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस)
  • गवाहों की जानकारी और उनके पहचान पत्र
  • सिक्योरिटी डिपॉजिट की रसीद (यदि लागू हो)
  • NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट), यदि प्रॉपर्टी किसी हाउसिंग सोसाइटी में है।

मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार

नया कानून दोनों पक्षों के अधिकारों को स्पष्ट करता है:

मकान मालिक के अधिकार:

  • समय पर किराया प्राप्त करने का अधिकार।
  • एग्रीमेंट में निर्धारित शर्तों का पालन करवाना।
  • तय प्रक्रिया और कानूनी नोटिस के बाद किरायेदार को बेदखल करने का अधिकार।
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किरायेदार के अधिकार:

  • बिना वैध कारण या नोटिस के निकाले जाने से सुरक्षा।
  • तय अवधि तक शांतिपूर्ण ढंग से प्रॉपर्टी में रहने का अधिकार।
  • विवाद की स्थिति में कोर्ट में न्याय पाने का अधिकार।

कुछ जरूरी सुझाव

  • हमेशा रजिस्टर्ड एग्रीमेंट बनवाएं: मौखिक वादों या साधारण कागज़ पर भरोसा न करें।
  • ऑनलाइन प्रक्रिया का उपयोग करें: यदि आपके राज्य में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा है, तो उसका अधिक से अधिक उपयोग करें, क्योंकि यह सुविधाजनक और पारदर्शी है।
  • सभी शर्तें लिखित में तय करें: किराया, सुरक्षा जमा राशि (Security Deposit), किराए में बढ़ोतरी की दर, बिजली-पानी के बिल का भुगतान, रखरखाव और एग्रीमेंट की अवधि जैसी सभी शर्तें एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए।
  • महिलाओं को मिलने वाली छूट का लाभ लें: यदि आप महिला मकान मालिक हैं, तो स्टाम्प शुल्क में मिलने वाली 1% की छूट का लाभ अवश्य लें।

Rent Agreement Registration 2025 एक बहुत जरूरी और ठोस पहल है, जो मकान मालिक और किरायेदार दोनों की कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इससे विवाद कम होंगे, कानूनी कार्रवाई आसान होगी और रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी। अब चाहे आप मकान किराए पर दें या लें – रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के बिना आगे न बढ़ें! यह आपके हितों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

 

 

 

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