उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि पिछले महीने राज्यसभा कक्ष में 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिली थी, लेकिन अब तक किसी भी सांसद ने उसे लेने के लिए दावा नहीं किया है। उन्होंने इसे नैतिक मानकों के लिए एक सामूहिक चुनौती करार दिया। यह बयान उन्होंने एक पुस्तक के विमोचन के दौरान दिया।
6 दिसंबर को हुई थी अप्रत्याशित घटना
दरअसल, राज्यसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 6 दिसंबर को राज्यसभा की एक विशेष सीट से अचानक 500 रुपये के नोटों की गड्डी पाई गई थी, जो कांग्रेस सांसद अभिषेक सिंघवी के लिए आवंटित सीट पर मिली थी। इस घटना के बाद राज्यसभा में भारी हंगामा मच गया था। विपक्षी और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे थे। वहीं, कांग्रेस सांसद अभिषेक सिंघवी ने इसे सुरक्षा चूक करार दिया और घटना की जांच की मांग की थी।
धनखड़ ने जताया दुख और नैतिक मानकों पर सवाल उठाए
धनखड़ ने सोमवार को इस घटना का जिक्र करते हुए कहा, “लगभग एक महीने पहले राज्यसभा में एक विशेष सीट से 500 रुपये की गड्डी मिली थी, लेकिन मुझे दुख है कि अब तक कोई भी उस पर दावा करने नहीं आया है। यह हमारे नैतिक मानकों के लिए एक सामूहिक चुनौती है।” उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए संसद के लिए यह एक महत्वपूर्ण सबक बताया।
संसद के कार्यों पर भी दिया बयान
उपराष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा कि संसद को सूचना का मुक्त पतन का स्थान नहीं बनना चाहिए और यह हिसाब चुकता करने का मंच भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद की प्राथमिक शक्तियों में से एक कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराना है, जो संवाद, बहस और विचार-विमर्श के माध्यम से संभव है। जब संसद निष्क्रिय हो जाती है या व्यवधानों से अपवित्र हो जाती है, तो जवाबदेही खत्म हो जाती है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है।
लोकतंत्र की मजबूती और विकास की दिशा पर दिया जोर
धनखड़ ने भारत के लोकतंत्र की मजबूती पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमें गर्व है कि हम सबसे पुराने और सबसे जीवंत लोकतंत्र हैं, जिसे लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।” उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में लोगों ने अभूतपूर्व विकास का अनुभव किया है जैसे कि बैंकिंग समावेशन, घरों में शौचालय, गैस कनेक्शन, किफायती आवास, सड़क संपर्क, स्कूली शिक्षा, और डिजिटलीकरण द्वारा पारदर्शी और जवाबदेह तंत्र का निर्माण।
सांसदों से की अपील
धनखड़ ने सांसदों से अपील करते हुए कहा कि वे नीतियों को इस प्रकार से विकसित करें, जो लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में सहायक हों। उन्होंने यह भी कहा कि यह तभी संभव है जब संसद प्रभावी ढंग से काम करे और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें।