नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की राजनीति में खुद को अंगद का पांव समझने वाले शेख अब्दुल्ला एवं मुफ्ती मोहम्मद सईद परिवार की राजनीति इस बार पूरी तरह से खत्म होती नजर आ रही है। राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला करारी हार की तरफ अग्रसर हो चुके हैं, उधर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट की मुखिया महबूबा मुफ्ती भी हार का वरण करने के मुहाने पर खड़ी हुई है
मंगलवार को लोकसभा चुनाव- 2024 के जनादेश को लेकर जम्मू कश्मीर की पब्लिक की ओर दिए गए जनादेश ने राज्य में दो परिवारों की राजनीति की प्रतिष्ठा को धूल में मिलाकर रख दिया है।
जम्मू कश्मीर की राजनीति में खुद को अंगद का पैर समझने वाले शेख अब्दुल्ला एवं मुफ्ती मोहम्मद सईद परिवार को इस मर्तबा करारी हार मिलती लग रही है। राज्य की बारामूला लोकसभा सीट से उमर अब्दुल्ला करारी हार झेलने को मजबूर हो रहे हैं, जिसके चलते अपनी हार स्वीकार करते हुए उमर अब्दुल्ला ने उन्हें पटकनी देने वाले इंजीनियर रशीद शेख को जीत की मुबारकबाद भी पेश की है।
उधर राज्य की अनंतनाग राजौरी सीट से इलेक्शन लड़ रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट की उम्मीदवार महबूबा मुफ्ती फिलहाल साढ़े चार लाख वोटो से पीछे चल रही है। महबूबा मुफ्ती समय-समय पर आतंकवादियों के साथ अपने प्रेम को जाहिर करती रही है। जिस तरह से लोकसभा के चुनाव में महबूबा मुफ्ती हार के मुहाने पर खड़ी हुई है, उसके चलते दिखाई दे रहा है कि राज्य के मतदाताओं को महबूबा मुफ्ती का आतंकवादियों के प्रति प्रेम रास नहीं आया है।