Advertisement

Advertisements

पहलगाम का बदला: भारत का पाक पर ‘पानी का वार’, सिंधु का प्रवाह रोकने की तैयारी!

Dharmender Singh Malik
7 Min Read
पहलगाम का बदला: भारत का पाक पर 'पानी का वार', सिंधु का प्रवाह रोकने की तैयारी!

नई दिल्ली: कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े तेवर अपना लिए हैं। आतंकियों के पनाहगाह बने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने पहले ही 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का बड़ा फैसला लिया था। अब सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, भारत सरकार ने सिंधु नदी के पानी के प्रवाह को पूरी तरह से रोकने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए सिंधु बेसिन की नदियों के किनारे बने बांधों की क्षमता को तेजी से बढ़ाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक पानी को रोका जा सके। मोदी सरकार इस बड़े फैसले को तीन चरणों में लागू करने की योजना पर काम कर रही है।

जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने आजतक के साथ एक विशेष बातचीत में सिंधु जल संधि को लेकर भारत सरकार की नई रणनीति का खुलासा किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सिंधु जल संधि के तहत जो भी निर्णय लिया गया है, उसका अक्षरशः पालन किया जाएगा, लेकिन अब इसे तीन चरणों – तुरंत, मध्यकालिक और दीर्घकालिक – में कार्यान्वित किया जाएगा। मंत्री ने दृढ़ता से कहा कि भारत से पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी न जाए, इसके लिए हर संभव व्यवस्था की जाएगी।

See also  पत्नी की मार से परेशान पति! UN रिपोर्ट ने उड़ाई नींद, भारत में पुरुषों पर हिंसा का ग्राफ चढ़ा!

आधुनिक तकनीक से बढ़ेगी बांधों की क्षमता

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकने की तैयारी युद्धस्तर पर शुरू कर दी गई है और इसका असर जल्द ही देखने को मिलेगा। सरकार बांधों की मौजूदा क्षमता को बढ़ाने के लिए आधुनिक इंजीनियरिंग और तकनीक का इस्तेमाल करेगी। इसके साथ ही, बांधों से गाद हटाकर अतिरिक्त पानी को संग्रहित करने की व्यवस्था की जाएगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय से विश्व बैंक, जिसने इस संधि को कराने में मध्यस्थता की थी, को भी भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर अवगत करा दिया है। इस फैसले पर तत्काल अमल शुरू हो चुका है। आज इस संवेदनशील मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल के बीच एक उच्च-स्तरीय और महत्वपूर्ण बैठक भी संपन्न हुई।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने इस बड़े फैसले को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “मोदी सरकार द्वारा सिंधु जल संधि पर लिया गया ऐतिहासिक निर्णय पूर्णतः न्यायसंगत और राष्ट्रहित में है। हम ख्याल रखेंगे कि पाकिस्तान में सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी नहीं जाए।”

भारत ने पाकिस्तान को आधिकारिक रूप से दी जानकारी

इससे पहले, भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के अपने फैसले को औपचारिक रूप से लागू करने के लिए एक अधिसूचना जारी की और गुरुवार को इसे इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को सौंप दिया। इस आधिकारिक अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जा रहा है। इसका सीधा अर्थ है कि सिंधु आयुक्तों के बीच होने वाली नियमित बैठकें, जल संबंधी डेटा का साझाकरण और नई परियोजनाओं की पूर्व सूचना जैसे सभी संधि दायित्व प्रभावी रूप से निलंबित कर दिए गए हैं। संधि के अब निलंबित होने के बाद, भारत सिंधु नदी पर अपनी परियोजनाओं (जैसे बांध और जलविद्युत परियोजनाएं) का निर्माण करने के लिए पाकिस्तान की अनुमति या परामर्श लेने के लिए बाध्य नहीं होगा।

See also  Twitter पर एक नई चीज करने जा रहे ईलॉन मस्क, खुद किया ऐलान

भारत के जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी अधिकारियों को संबोधित एक कड़े शब्दों वाले पत्र में कहा कि पाकिस्तान द्वारा जम्मू और कश्मीर को लगातार निशाना बनाकर सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद सिंधु जल संधि के तहत भारत के अधिकारों में गंभीर बाधा उत्पन्न करता है। पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है, “सद्भावना के साथ संधि का सम्मान करने का दायित्व संधि के लिए मौलिक है। हालांकि, इसके विपरीत, हमने जो देखा है वह यह है कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर लगातार सीमा पार आतंकवाद जारी है।”

पाकिस्तान ने बताया ‘युद्ध की कार्रवाई’

उधर, पाकिस्तान ने गुरुवार को भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को सिरे से खारिज कर दिया और कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संधि के तहत पाकिस्तान के पानी के प्रवाह को रोकने का कोई भी कदम इस्लामाबाद द्वारा “युद्ध की कार्रवाई” के रूप में देखा जाएगा। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान ने नौ साल की लंबी बातचीत के बाद सितंबर 1960 में इस ऐतिहासिक जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका एकमात्र उद्देश्य सीमा पार की नदियों से संबंधित जल बंटवारे और अन्य तकनीकी मुद्दों का प्रबंधन करना था।

See also  पाकिस्तान आतंकियों का समर्थक, कश्मीर हिंसा अस्वीकार्य; अमेरिका ने किया भारत का समर्थन

पाकिस्तान पर होगा बड़ा असर

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने का पाकिस्तान की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर गंभीर और दूरगामी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। इससे महत्वपूर्ण जल संबंधी डेटा का साझाकरण बाधित होगा और पाकिस्तान में महत्वपूर्ण फसल मौसमों के दौरान नदियों से पानी का प्रवाह काफी कम हो जाएगा, जिससे सिंचाई और बिजली उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई यह संधि पूर्वी नदियों – सतलुज, ब्यास और रावी का पानी भारत को और पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित करती है। लगभग 135 मिलियन एकड़ फुट (MAF) का औसत वार्षिक प्रवाह बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आवंटित किया गया था, जिस पर अब खतरा मंडरा रहा है।

 

Advertisements

See also  Twitter पर एक नई चीज करने जा रहे ईलॉन मस्क, खुद किया ऐलान
TAGGED:
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement