भारत को परमाणु शक्ति बनाने वाले वैज्ञानिक राजगोपाला चिदंबरम का निधन

Dharmender Singh Malik
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भारत को परमाणु शक्ति बनाने वाले वैज्ञानिक राजगोपाला चिदंबरम का फाइल फोटो

भारत को परमाणु शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक राजगोपाला चिदंबरम का 4 दिसंबर 2025 को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। चिदंबरम ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को एक नई दिशा देने में अहम योगदान दिया था। उन्होंने 1974 और 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत को एक शक्तिशाली परमाणु राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।

मुंबई के जसलोक अस्पताल में निधन

राजगोपाला चिदंबरम का निधन शनिवार सुबह तड़के तीन बजकर 20 मिनट पर मुंबई के जसलोक अस्पताल में हुआ। एक अधिकारी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि डॉक्टरों की पूरी टीम ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। चिदंबरम के निधन से भारतीय वैज्ञानिक समुदाय और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है।

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भारत को परमाणु ताकत बनाने में अहम योगदान

राजगोपाला चिदंबरम ने भारतीय परमाणु कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के पहले परमाणु परीक्षण 1974 में “Smiling Buddha” के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया था और 1998 में पोखरण-द्वितीय परीक्षण के दौरान भी वह मुख्य भूमिका में थे। उनके नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिकों ने परमाणु परीक्षणों में सफलता प्राप्त की, जिससे भारत को परमाणु शक्ति बनने का गौरव हासिल हुआ।

चिदंबरम ने परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और साथ ही भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (Principal Scientific Advisor) के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी। उनके नेतृत्व में भारत ने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को और मजबूत किया और देश को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

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सम्मान और पुरस्कार

चिदंबरम को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले थे। उन्हें 1975 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनका योगदान भारतीय विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में अनमोल था, और उनके कार्यों ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक शक्तिशाली परमाणु राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।

Department of Atomic Energy की श्रद्धांजलि

Department of Atomic Energy (DAE) ने चिदंबरम के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। DAE ने कहा, “भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं में डॉ. चिदंबरम का योगदान अतुलनीय था। उनके दूरदर्शी नेतृत्व को हमेशा याद किया जाएगा।” उनके योगदान ने भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की ताकत को प्रदर्शित किया।

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वैज्ञानिक चिदंबरम का व्यक्तिगत जीवन

राजगोपाला चिदंबरम का जन्म 1936 में हुआ था। वह चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बेंगलुरु (IIT Bangalore) के पूर्व छात्र थे। चिदंबरम ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वह भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक (1990-1993) और परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष (1993-2000) रहे। इसके अलावा, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष (1994-1995) के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।

 

 

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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