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पुराने नोटों को लेकर RBI का बड़ा ऐलान! चलन से बहार हुए नोट नहीं होंगे बेकार, जानिए कहां और कैसे आएंगे काम Old Currency

Gaurangini Chaudhary
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पुराने नोटों को लेकर RBI का बड़ा ऐलान! चलन से बहार हुए नोट नहीं होंगे बेकार, जानिए कहां और कैसे आएंगे काम Old Currency

नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाया है जिसकी चर्चा चारों ओर हो रही है। अब तक हम सभी यही जानते थे कि पुराने, फटे या चलन से बाहर हो चुके नोटों को या तो जला दिया जाता है या जमीन में दबा दिया जाता है। लेकिन अब RBI ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया है। अब पुराने नोट नष्ट नहीं होंगे, बल्कि रीसायकल होकर हमारे घरों का हिस्सा बनेंगे, जैसे फर्नीचर, टेबल, कुर्सी या शेल्फ!

फटे नोटों से अब बनेंगे कुर्सी-टेबल: पर्यावरण संरक्षण की अनोखी पहल

RBI ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एक बेहद अनोखी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत अब जो भी नोट फट जाते हैं, पुराने हो जाते हैं या फिर चलन से बाहर हो जाते हैं – उन्हें सीधे जला कर खत्म नहीं किया जाएगा। बल्कि अब उन्हें रिसाइक्लिंग मशीनों के जरिए पार्टिकल बोर्ड्स में बदला जाएगा।

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ये पार्टिकल बोर्ड वही होते हैं जो हम फर्नीचर में लकड़ी की जगह इस्तेमाल करते हैं। इससे न सिर्फ लकड़ी की कटाई कम होगी, बल्कि पुराने नोटों का भी बेहतर उपयोग हो पाएगा।

हर साल 15,000 टन बेकार नोटों का होगा सदुपयोग

RBI की 2024-25 की सालाना रिपोर्ट बताती है कि हर साल करीब 15,000 टन पुराने या फटे नोट जमा होते हैं। पहले इन नोटों को या तो जला दिया जाता था या जमीन में दबा दिया जाता था, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता था। लेकिन अब इस रिसाइक्लिंग प्लान से इनका सही और उत्पादक इस्तेमाल किया जा सकेगा।

यह काम कोई आसान नहीं है, लेकिन टेक्नोलॉजी की मदद से अब संभव हो पाया है। RBI ने देश के टॉप तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर एक ऐसी प्रक्रिया तैयार की है जिससे नोटों को पार्टिकल बोर्ड में बदला जा सकता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले पुराने नोटों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है, फिर उन्हें एक खास तरीके से गूंथा जाता है ताकि वे मजबूत बोर्ड की शक्ल में ढल सकें। उसके बाद इन्हें कंप्रेस कर के बोर्ड बना दिए जाते हैं।

क्यों है यह फैसला बेहद ज़रूरी?

यह पहल कई मायनों में गेम-चेंजर साबित होगी:

  • पर्यावरण का नुकसान रुकेगा: नोटों को जलाने से निकलने वाली जहरीली गैसें और जमीन में दबाने से मिट्टी को होने वाला नुकसान अब नहीं होगा।
  • लकड़ी की बचत: फर्नीचर बनाने के लिए पेड़ों की कटाई में कमी आएगी, जिससे वन संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
  • कचरे से कमाई: बेकार हो चुके नोट भी उपयोगी सामान में बदलकर आय का स्रोत बनेंगे।
  • इनोवेशन को बढ़ावा: यह पहल दिखाती है कि कैसे टेक्नोलॉजी से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है, जिससे अन्य क्षेत्रों में भी नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।
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पुराने नोटों में मौजूद केमिकल, सिक्योरिटी थ्रेड, और स्याही जो वातावरण के लिए खतरनाक होते थे, अब इस रिसाइक्लिंग से उन सारे जोखिमों से बचा जा सकता है।

‘जंगल नहीं, अब नोट काटेंगे!’ – घरेलू फर्नीचर उद्योग को मिलेगा नया विकल्प

इस पूरी पहल में सबसे रोचक बात ये है कि अब पेड़ों को नहीं काटना पड़ेगा। यानी ‘पेड़ काटो नहीं, नोट काटो’ का नारा अपनाया जा सकता है। सोचिए, जिस कुर्सी पर आप बैठते हैं, या जो टेबल आप इस्तेमाल करते हैं – उसमें अब दो हजार के फटे नोट भी लगे हो सकते हैं।

भारत में फर्नीचर इंडस्ट्री काफी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या है लकड़ी की कमी और महंगी लागत। अब अगर फटे और बेकार नोटों से बनी बोर्ड का इस्तेमाल होने लगेगा, तो इसका सीधा फायदा आम जनता को भी मिलेगा। फर्नीचर सस्ता होगा, टिकाऊ होगा और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा।

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RBI अब पार्टिकल बोर्ड बनाने वाली कंपनियों को इस पहल में शामिल कर रही है। कुछ कंपनियां तो इस पर काम शुरू भी कर चुकी हैं। आने वाले समय में आप जब भी नया फर्नीचर खरीदने जाएं, तो यह जरूर सोचिएगा – “कहीं इसमें पुराने नोट तो नहीं?”

भारतीय रिज़र्व बैंक का यह कदम वाकई काबिल-ए-तारीफ है। जिस चीज़ को अब तक बेकार समझा जाता था, अब वही हमारे जीवन का उपयोगी हिस्सा बन रही है। पुराने और फटे नोटों से फर्नीचर बनाना न सिर्फ एक स्मार्ट मूव है, बल्कि ये आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बेहतरीन उदाहरण होगा कि कचरे को भी सोना बनाया जा सकता है, बस सोच और तकनीक सही होनी चाहिए।

 

 

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