जीत की राह भाजपा संग? चौधरी जयंत का नया दांव, इतिहास क्या कहता है?

Dharmender Singh Malik
2 Min Read

RLD: BJP से गठबंधन – मजबूरी या दिल का रिश्ता?

लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद, उनके पोते जयंत चौधरी ने अपनी पार्टी RLD के राजनीतिक रुझान को लेकर स्पष्ट संकेत दिए हैं। विपक्ष से दूरी बनाते हुए उन्होंने BJP के साथ गठबंधन को ज़रूरी बताया है। यह निर्णय कई सवालों को जन्म देता है, जैसे कि क्या यह RLD के लिए मजबूरी है या दिल का रिश्ता?

चुनावों का इतिहास:

RLD के चुनावी प्रदर्शन को देखने पर जयंत चौधरी की मजबूरी समझी जा सकती है। 1999 में गठन के बाद, RLD ने 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़े।

See also  सरकार ने पैन को आधार से जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च तय की

1999: 2 सीटें (केवल स्वतंत्र रूप से)
2004: 3 सीटें (सपा के साथ गठबंधन)
2009: 5 सीटें (भाजपा के साथ गठबंधन)
2014: 0 सीटें (कांग्रेस के साथ गठबंधन)
2019: 0 सीटें (बसपा-सपा गठबंधन)
यह स्पष्ट है कि 2009 में भाजपा के साथ गठबंधन RLD के लिए सबसे सफल रहा। 2014 और 2019 में विपक्षी दलों के साथ गठबंधन में RLD को हार का सामना करना पड़ा।

जयंत चौधरी की रणनीति:

2019 के चुनावों में हार के बाद, जयंत चौधरी ने ‘भारत राष्ट्र समूह’ (INDIA) का गठन किया, जिसमें सपा, बसपा, RLD और कुछ अन्य दल शामिल थे।
2022 के विधानसभा चुनावों में RLD ने सपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया।

See also  सिर्फ 4 महीने में इस शेयर ने निवेशकों को दिया बंपर रिटर्न, अब बोनस भी देगी कंपनी
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment