RLD: BJP से गठबंधन – मजबूरी या दिल का रिश्ता?
लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद, उनके पोते जयंत चौधरी ने अपनी पार्टी RLD के राजनीतिक रुझान को लेकर स्पष्ट संकेत दिए हैं। विपक्ष से दूरी बनाते हुए उन्होंने BJP के साथ गठबंधन को ज़रूरी बताया है। यह निर्णय कई सवालों को जन्म देता है, जैसे कि क्या यह RLD के लिए मजबूरी है या दिल का रिश्ता?
चुनावों का इतिहास:
RLD के चुनावी प्रदर्शन को देखने पर जयंत चौधरी की मजबूरी समझी जा सकती है। 1999 में गठन के बाद, RLD ने 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़े।
1999: 2 सीटें (केवल स्वतंत्र रूप से)
2004: 3 सीटें (सपा के साथ गठबंधन)
2009: 5 सीटें (भाजपा के साथ गठबंधन)
2014: 0 सीटें (कांग्रेस के साथ गठबंधन)
2019: 0 सीटें (बसपा-सपा गठबंधन)
यह स्पष्ट है कि 2009 में भाजपा के साथ गठबंधन RLD के लिए सबसे सफल रहा। 2014 और 2019 में विपक्षी दलों के साथ गठबंधन में RLD को हार का सामना करना पड़ा।
जयंत चौधरी की रणनीति:
2019 के चुनावों में हार के बाद, जयंत चौधरी ने ‘भारत राष्ट्र समूह’ (INDIA) का गठन किया, जिसमें सपा, बसपा, RLD और कुछ अन्य दल शामिल थे।
2022 के विधानसभा चुनावों में RLD ने सपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया।