नंदुरबार, महाराष्ट्र। हर साल 26 नवंबर को मनाए जाने वाले संविधान दिवस के अवसर पर अक्कलकुआ स्थित जामिया कॉलेज ऑफ लॉ में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संविधान के महत्व और इसके निर्माण की प्रक्रिया पर गहरी चर्चा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र क़ुरआन की तिलावत से की गई, जो संविधान के आदर्शों और उसकी सर्वोच्चता को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक सुंदर तरीका था।
संविधान के निर्माण की पेचीदगियों पर विचार
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता जामिया कॉलेज ऑफ लॉ के प्रोफेसर डॉ. अबरार अली थे, जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण के उद्देश्य और मसौदा तैयार करने की पेचीदगियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारतीय संविधान को तैयार करने में कई चुनौतियाँ थीं, लेकिन बाबा भीमराव अंबेडकर ने एक बेहतरीन तरीके से विभिन्न देशों के संविधान से तत्व लेकर इसे भारतीय संदर्भ में ढाला। उन्होंने न केवल देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा मसौदा तैयार किया, बल्कि इसने भारत की एकता और अखंडता को भी मजबूत किया।”
डॉ. अबरार अली ने आगे बताया कि भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज के लिए संविधान की रचना बेहद चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन बाबा साहब अंबेडकर ने इसे एक नए दृष्टिकोण से देखा और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव रखी। उनका योगदान न केवल राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी अद्वितीय था।
संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का आयोजन
संगोष्ठी में जामिया कॉलेज ऑफ लॉ के सहायक प्रोफेसर सैयद शादाब असदक़ ने कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने संविधान निर्माण के सफर के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उसकी प्रस्तावना को पढ़ने का विशेष आयोजन किया। संविधान की प्रस्तावना को चार विभिन्न भाषाओं में पढ़ा गया, जिससे सभी उपस्थित लोगों को इसकी व्यापकता और महत्व का एहसास हुआ।
- सहायक प्रोफेसर (डॉ.) फहद खान ने अंग्रेजी में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।
- सहायक प्रोफेसर सागर मिस्त्री ने हिंदी में प्रस्तावना का पाठ किया।
- जामिया कॉलेज ऑफ एजूकेशन के प्रोफेसर अमजद अली ने उर्दू में प्रस्तावना पढ़ी।
- अंत में, जामिया कॉलेज ऑफ लॉ के एडवोकेट पीके ठाकरे ने मराठी में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और इसके महत्व को समझाया।
संविधान की शपथ और एकता की अपील
कार्यक्रम के दौरान पीके ठाकरे ने बाबा भीमराव अंबेडकर के योगदान को सराहा और संविधान की शपथ लेने की अपील की। उन्होंने कहा, “बाबा साहब ने संविधान के माध्यम से देश की नींव मजबूत की, साथ ही समाज में न्याय और समानता स्थापित करने की दिशा में काम किया। हमें संविधान के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखनी चाहिए और देश की एकता, अखंडता और सौहार्द को मजबूत करना चाहिए।”
इसके बाद, सैयद शादाब असदक़ ने संविधान की प्रस्तावना को संविधान का सार और उसकी आत्मा बताते हुए कहा कि यह संगोष्ठी संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे संविधान के आदर्शों को अपनाकर देश की सेवा करें और समाज में न्याय की स्थापना के लिए काम करें।
समापन और सम्मान
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें सभी उपस्थित लोगों ने एकजुट होकर इसे गाया। इस अवसर पर जामिया इस्लामिया इशातुल उलूम के जनसंपर्क अधिकारी शाहिद परवेज मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। उनके अलावा जामिया कॉलेज ऑफ लॉ के तमाम प्रोफेसर, गेस्ट फैकल्टी और जामिया कॉलेज ऑफ एजूकेशन के सहायक प्रोफेसर फैज़ अहमद के साथ-साथ कॉलेज के छात्र-छात्राएं और कर्मचारी भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
संविधान दिवस पर आयोजित इस संगोष्ठी ने भारतीय संविधान की ऐतिहासिक और सामाजिक महत्वता को सही तरीके से प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों को संविधान के बारे में जानकारी प्रदान करने का एक माध्यम था, बल्कि इसके माध्यम से समाज में समानता, न्याय और भाईचारे का संदेश भी दिया गया। जामिया कॉलेज ऑफ लॉ में आयोजित इस संगोष्ठी ने संविधान के प्रति सम्मान और उसकी महत्ता को सभी उपस्थित लोगों के दिलों में और भी गहरी कर दी।