नई दिल्ली: अगर आप भी आयकर चुकाते हैं और हर साल अपना रिटर्न फाइल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। अब आयकर विभाग मनमाने ढंग से आपके पुराने टैक्स मामलों को नहीं खोल पाएगा। सरकार ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए ऐसे नियम लागू किए हैं, जिनसे टैक्स अधिकारियों की मनमानी पर लगाम लगेगी। पहले जहाँ सालों पुराने मामलों में अचानक नोटिस आ जाते थे, जिससे टैक्सपेयर्स मानसिक रूप से परेशान होते थे, वहीं अब ऐसा नहीं होगा। आइए जानते हैं क्या है यह नया नियम और इसका आप पर क्या असर पड़ेगा।
पुराने सिस्टम में क्या थी परेशानी?
पहले इनकम टैक्स अधिकारी छह साल तक पुराने टैक्स मामलों को दोबारा खोल सकते थे। यदि कोई मामला गंभीर होता या आय छिपाने की आशंका होती, तो यह समयसीमा और भी बढ़ सकती थी। दुर्भाग्यवश, इस प्रावधान का काफी दुरुपयोग भी देखा गया। अधिकारी बिना किसी ठोस वजह के पुराने केस खोल देते थे, जिससे ईमानदार टैक्सपेयर्स को भी बेवजह की परेशानी उठानी पड़ती थी।
क्या है नया बदलाव? अब सिर्फ 3 साल की सीमा
नए नियमों के तहत, इनकम टैक्स विभाग अब सिर्फ तीन साल पुराने मामलों को ही दोबारा खोल सकेगा। इसका मतलब है कि यदि आपने तीन साल से पहले का रिटर्न सही तरीके से फाइल किया है और उसमें कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं है, तो अब आपको पुराना नोटिस आने की कोई चिंता नहीं रहेगी।
हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है: यदि मामला ₹50 लाख या उससे ज्यादा की आय छुपाने का है या कोई गंभीर धोखाधड़ी का मामला है, तो इनकम टैक्स विभाग 10 साल तक भी केस खोल सकता है। यानी, बड़े और गंभीर मामलों में छूट नहीं दी गई है, लेकिन सामान्य टैक्सपेयर्स को अब निश्चित रूप से राहत मिलेगी।
दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ‘ट्रैवल बैक इन टाइम’ खत्म
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मामले पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अब इनकम टैक्स विभाग अपनी मर्जी से पुराने केस नहीं खोल सकता। विभाग को तय समयसीमा का सख्ती से पालन करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति ₹50 लाख से कम की आय छुपाने का आरोपी है और उसका मामला तीन साल से ज़्यादा पुराना है, तो उसे अब दोबारा नहीं खोला जा सकता। यह फैसला छोटे टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ी कानूनी सुरक्षा है।
आयकर विभाग का एक पुराना तरीका था – “ट्रैवल बैक इन टाइम”, यानी पुराने मामलों में किसी भी समय वापस जाकर केस खोल देना। कोर्ट ने अब इस सिद्धांत को अवैध और गैरकानूनी करार दे दिया है। इसका मतलब है कि अब किसी भी अधिकारी को यह हक नहीं रहेगा कि वह अचानक 8-10 साल पुराना मामला उठाकर नोटिस भेज दे।
2021 में आया था कानून, अब मिली स्पष्टता
असल में, सरकार ने साल 2021-22 में ही इनकम टैक्स रिअसेसमेंट को लेकर नया कानून लागू किया था। इसमें पुराने 6 साल के सिस्टम को खत्म कर 3 साल की सीमा तय की गई थी। साथ ही, बहुत बड़े मामलों के लिए 10 साल की लिमिट रखी गई थी। लेकिन इस कानून के बाद भी कुछ पुराने नोटिस भेजे जा रहे थे, जिससे विवाद बना हुआ था। अब कोर्ट के इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि बिना मजबूत कारण के तीन साल से पुराने मामले नहीं खोले जा सकते।
टैक्सपेयर्स की बड़ी जीत और आगे क्या करें?
इस फैसले और नियम में बदलाव से लाखों टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें हर साल इस डर में नहीं जीना पड़ेगा कि कभी भी कोई पुराना मामला उठ जाएगा और नोटिस आ जाएगा। खासकर छोटे व्यापारी, नौकरीपेशा और मिडिल क्लास लोगों को इस फैसले से काफी फायदा होगा। अब वे ज्यादा फोकस के साथ अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग कर पाएंगे और पुराने मामलों की टेंशन नहीं पालनी पड़ेगी।
टैक्सपेयर्स को अब क्या करना चाहिए?
- हर साल सही समय पर रिटर्न फाइल करें।
- सभी डॉक्युमेंट्स और ट्रांजेक्शन्स को रिकॉर्ड में रखें।
- किसी भी लेनदेन को छुपाएं नहीं।
- अगर नोटिस आता भी है तो एक प्रोफेशनल से सलाह लें।
यह नया नियम और कोर्ट का फैसला भारत की टैक्स व्यवस्था में एक बड़ा सुधार लाया है, जिससे पारदर्शिता, ईमानदारी और भरोसे का माहौल बनेगा। अब टैक्सपेयर्स को यह भरोसा मिलेगा कि उनके साथ नाइंसाफी नहीं होगी। यदि आप भी हर साल ईमानदारी से टैक्स भरते हैं, तो अब निश्चिंत होकर आगे बढ़िए। सरकार और न्यायालय अब आपके साथ हैं।