Teachers Promotion: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पदोन्नति के लिए शिक्षकों का टीईटी पास होना जरूरी

Madras HC Orders on Teachers Promotion: मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में तमिलनाडु सरकार को बीटी सहायकों की पदोन्नति के लिए काउंसलिंग आयोजित करने के लिए दोबारा जल्द से जल्द नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है। योग्य शिक्षकों में से उच्च विद्यालयों के सहायक और प्रधानाध्यापक, जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने की न्यूनतम पात्रता मानदंड रखते हैं।

जस्टिस डी कृष्ण कुमार ने हाल ही में आर शक्तिवेल की एक रिट याचिका की स्वीकार करते हुए और वी वनजा एवं 40 अन्य की एक रिट याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश जारी किया। शक्तिवेल ने इस साल 30 जून को स्कूल शिक्षा आयुक्त और स्कूल शिक्षा निदेशक के एक अन्य के एक आदेश, जिसमें अवैध रूप से अयोग्य व्यक्तियों से पदोन्नति करने की छूट, को रद्द करने और उन्हें केवल टीईटी उत्तीर्ण उम्मीदवारों को ही पदोन्नति व नियुक्ति देने का निर्देश देने की मांग की थी।

वहीं, वनजा और 40 अन्य की अन्य याचिका में इस साल 11 जुलाई के एक आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, क्योंकि इसने 14 और 15 जुलाई को माध्यमिक ग्रेड शिक्षक के पद से बीटी सहायक के पद के लिए होने वाली पदोन्नति काउंसलिंग को स्थगित कर दिया था। इसने अदालत द्वारा तय की गई समय-सीमा के भीतर काउंसलिंग आयोजित करने की मांग की थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

योग्यता हासिल करने के लिए नौ साल का समय दिया गया था

न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE ACT) की धारा 23 (1) के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत शैक्षणिक प्राधिकरण यानी एनसीटीई पहली कक्षा से आठवीं तक के लिए शिक्षकों की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करता है। इससे अधिनियम की धारा 23 में स्पष्ट है कि एक शिक्षक, जिसके पास अधिनियम के प्रारंभ में न्यूनतम योग्यता अर्थात टीईटी में उत्तीर्ण नहीं है, उसे पांच वर्ष के भीतर टीईटी क्वालिफाई कर लेना चाहिए। आरटीई अधिनियम 2009 के तहत पहले से नियुक्त किए गए उम्मीदवारों को टीईटी पास करने के लिए शुरू में पांच साल और एक अप्रैल 2015 से चार साल का अतिरिक्त समय दिया गया है। इसलिए, अब इसमें समझौता करने की गुंजाइंश नहीं है।

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