वक्फ संशोधन एक्ट पर केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में जवाब, कानून को ठहराया सही

Manasvi Chaudhary
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन एक्ट 2023 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है। इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने इस कानून का पुरजोर बचाव करते हुए इसे सही ठहराया है। सरकार ने कहा है कि पिछले 100 सालों से वक्फ बाई यूजर (Waqf by User) को केवल पंजीकरण के आधार पर ही कानूनी मान्यता दी जाती रही है, न कि मौखिक दावों के आधार पर।

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि वक्फ मुसलमानों की कोई धार्मिक संस्था नहीं है, बल्कि यह एक वैधानिक निकाय है, जिसे कानून के तहत स्थापित किया गया है। सरकार ने यह भी कहा कि वक्फ संशोधन कानून के अनुसार, मुतवल्ली (Waqf property का प्रबंधक) का कार्य धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का होता है, न कि धार्मिक। यह कानून देश के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को दर्शाता है, जिन्होंने संसद में बहुमत से इसे पारित किया है।

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह वक्फ संशोधन कानून के किसी भी प्रावधान पर फिलहाल कोई अंतरिम रोक न लगाए। सरकार का तर्क है कि यह संशोधन कानून किसी भी व्यक्ति के वक्फ बनाने के धार्मिक अधिकार में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करता है। इस कानून में जो भी बदलाव किए गए हैं, वे केवल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और उनमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किए गए हैं।

अपने जवाब में केंद्र सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि संसद द्वारा पारित किसी भी कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है, खासकर उस कानून को जो एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की गहन सिफारिशों और संसद में व्यापक बहस के बाद बनाया गया हो। सरकार ने बताया कि वक्फ संशोधन बिल को पारित करने से पहले संयुक्त संसदीय समिति की कुल 36 बैठकें हुई थीं। इन बैठकों में 97 लाख से अधिक विभिन्न हितधारकों से सुझाव और ज्ञापन प्राप्त हुए थे। इसके अतिरिक्त, समिति ने देश के दस बड़े शहरों का दौरा कर आम जनता के बीच जाकर उनकी राय और विचारों को भी जाना था।

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केंद्र सरकार का यह विस्तृत हलफनामा वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ एक मजबूत कानूनी बचाव प्रस्तुत करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या रुख अपनाता है।

 

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