किराएदारों के पास भी हैं ये ‘सुपरपावर’! अब मकान मालिक की मनमानी को कहें बाय-बाय, किराएदारों को मिले ये 5 धांसू कानूनी अधिकार

Gaurangini Chaudhary
Gaurangini Chaudhary - Content writer
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किराएदारों के पास भी हैं ये 'सुपरपावर'! अब मकान मालिक की मनमानी को कहें बाय-बाय, किराएदारों को मिले ये 5 धांसू कानूनी अधिकार

नई दिल्ली: भारत में लाखों लोग किराए के घरों में रहते हैं, जहाँ अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच तनाव की स्थिति बन जाती है। अचानक किराया बढ़ाना, बिना नोटिस के घर खाली करने को कहना, निजता में दखल देना या सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस न करना जैसी शिकायतें आम हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय कानून किराएदारों को ऐसे मामलों में पूरी सुरक्षा देता है?

अगर आप किराए पर रह रहे हैं या जल्द ही किराए पर घर लेने की सोच रहे हैं, तो इन 5 कानूनी अधिकारों को जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है, ताकि कोई भी मकान मालिक आपकी जानकारी की कमी का फायदा न उठा सके।

1. बिना नोटिस के घर खाली कराने का कोई अधिकार नहीं

कई बार मकान मालिक बिना किसी पूर्व सूचना के किरायेदार को घर खाली करने का दबाव बनाते हैं। लेकिन कानूनी रूप से यह गलत है।

  • कानून क्या कहता है? मकान मालिक को घर खाली कराने के लिए कम से कम 30 दिन पहले लिखित नोटिस देना अनिवार्य है। यदि रेंट एग्रीमेंट 11 महीने या किसी अन्य अवधि का है, तो उसी की शर्तें मान्य होंगी।
  • आपका अधिकार: अगर आप समय पर किराया दे रहे हैं और संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं, तो आपको जबरदस्ती घर से नहीं निकाला जा सकता। यह आपको बिना डर के शांति से रहने का अधिकार देता है।
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2. लिखित रेंट एग्रीमेंट का अधिकार

मौखिक समझौते पर किराए पर रहना भविष्य में बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। इसीलिए, आपके पास मकान मालिक के साथ एक लिखित रेंट एग्रीमेंट होना बेहद ज़रूरी है।

  • क्या होना चाहिए एग्रीमेंट में? इसमें मासिक किराया, सिक्योरिटी डिपॉजिट, किराए की अवधि, बिजली-पानी के बिल की जिम्मेदारी और दोनों पक्षों के हस्ताक्षर जैसी सभी महत्वपूर्ण शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए।
  • आपका फायदा: किसी भी विवाद की स्थिति में, यह लिखित एग्रीमेंट कोर्ट में आपके पक्ष में सबसे मज़बूत सबूत का काम करता है।

3. निजता का अधिकार (Right to Privacy)

आपके किराए के घर में आपकी निजता सबसे पहले आती है। कई मकान मालिक बिना बताए घर में घुस आते हैं या लगातार ताका-झांकी करते रहते हैं, जो आपके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

  • मकान मालिक क्या नहीं कर सकता? वह आपकी अनुमति के बिना आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकता, आपकी निजी चीज़ों को छू या जाँच नहीं सकता, और बिना आपकी इजाज़त के किसी तीसरे व्यक्ति को घर में नहीं ला सकता।
  • आपका हक: कानून आपको यह हक देता है कि आप अपने किराए के घर में सम्मान और स्वतंत्रता के साथ रह सकें।

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4. किराया मनमर्ज़ी से नहीं बढ़ाया जा सकता

अक्सर मकान मालिक साल भर बाद अचानक किराया बढ़ाने की बात कहते हैं। लेकिन कानूनी रूप से यह भी गलत है।

  • कब बढ़ाया जा सकता है किराया? किराया तभी बढ़ाया जा सकता है जब रेंट एग्रीमेंट में यह पहले से तय हो कि कितने समय बाद और कितने प्रतिशत किराया बढ़ेगा। सामान्यतः, सालाना 5% से 10% की बढ़ोतरी ही जायज़ मानी जाती है। बढ़ोतरी से पहले मकान मालिक को लिखित सूचना देना ज़रूरी है।
  • आपका फायदा: यह नियम आपको बेवजह के आर्थिक बोझ से बचाता है और आपकी जेब को मनमाने किराए से सुरक्षित रखता है।

5. सिक्योरिटी डिपॉजिट की वापसी का पूरा हक

घर लेते समय जो सिक्योरिटी डिपॉजिट दिया जाता है, उसे मकान खाली करते वक्त वापस पाना आपका कानूनी अधिकार है।

  • ध्यान देने योग्य बातें: अगर आपने घर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है, तो आपको पूरा डिपॉजिट वापस मिलना चाहिए। मकान मालिक केवल वैध कटौती कर सकता है (जैसे बकाया बिल या मरम्मत का खर्च, यदि आपके कारण हुआ हो), बिना किसी ठोस वजह के नहीं।
  • आपका अधिकार: यदि मकान मालिक डिपॉजिट नहीं लौटाता है, तो आप उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं। यह आपकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

हर किरायेदार के लिए कुछ ज़रूरी सुझाव

  • हमेशा लिखित एग्रीमेंट बनवाएं और उसकी एक कॉपी अपने पास सुरक्षित रखें।
  • हर महीने के किराए के भुगतान का रिकॉर्ड रखें (जैसे रसीद या ऑनलाइन पेमेंट का स्क्रीनशॉट)।
  • घर में प्रवेश करते समय और बाहर निकलते समय घर की तस्वीरें या वीडियो ज़रूर लें ताकि घर की स्थिति का प्रमाण रहे।
  • यदि मकान मालिक आप पर अनावश्यक दबाव बनाता है, तो रेंट कंट्रोल अथॉरिटी से संपर्क करें।
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क्या है रेंट कंट्रोल एक्ट?

रेंट कंट्रोल एक्ट एक राज्य-स्तरीय कानून है जो मकान मालिक और किरायेदार के बीच संतुलन बनाए रखने का काम करता है। इसका मुख्य मकसद है:

  • किराए की एक उचित सीमा तय करना।
  • किरायेदार को बेवजह निकाले जाने से बचाना।
  • दोनों पक्षों को न्यायसंगत अधिकार देना।
  • हर राज्य में इसके नियम थोड़े अलग हो सकते हैं, लेकिन इसका मूल मकसद हमेशा किरायेदार का संरक्षण करना है।

आज के समय में, यदि आप किराए पर रहते हैं, तो आपको केवल मकान ही नहीं, बल्कि अपने अधिकारों की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। मकान मालिक की हर बात मानना आपकी मजबूरी नहीं है। कानून आपके साथ है – बस आपको अपने अधिकारों को समझना और उनका सही इस्तेमाल करना आना चाहिए। तो अगली बार जब कोई मकान मालिक मनमानी करे, तो इन 5 अधिकारों को याद रखें और निडर होकर खड़े रहें।

 

 

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