नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिससे वक्फ संशोधन बिल (Waqf Bill) अब एक कानूनी रूप में अस्तित्व में आ गया है। इस विधेयक को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में गरमागरम बहस के बाद पारित किया गया था।
विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद में व्यापक चर्चा हुई थी, जिसमें विपक्ष और सत्ताधारी पक्ष के बीच तीखी बहस हुई। लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष और विपक्ष में बारी-बारी से विचार-विमर्श हुआ, जिसके बाद इसे मंजूरी दी गई। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना और इस क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
नए कानून के विरोध में याचिकाएं
वहीं, इस नए कानून के खिलाफ विपक्षी दलों ने विरोध दर्ज कराया है। कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी (आप) ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। इन दलों का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में असंवेदनशीलता और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के उल्लंघन को बढ़ावा दे सकता है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु
वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रावधानों को लागू किया गया है, जिनमें वक्फ बोर्ड के कामकाजी ढांचे में सुधार, वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण, और भ्रष्टाचार की रोकथाम के उपाय शामिल हैं। इसके अलावा, अब वक्फ बोर्ड के सदस्य तय समय सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए बाध्य होंगे, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता लाई जा सके।
नए कानून को कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी (आप) ने अलग-अलग याचिकाओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।