ओल्ड पेंशन स्कीम बनाम 8वां वेतन आयोग; क्या थमेगी विवाद की आग? 5 पॉइंट्स में जानें

Dharmender Singh Malik
4 Min Read
ओल्ड पेंशन स्कीम बनाम 8वां वेतन आयोग; क्या थमेगी विवाद की आग? 5 पॉइंट्स में जानें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की सिफारिश की है। यह सिफारिश उस समय की गई है, जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालांकि, इस वेतन आयोग के गठन के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि सरकार इस कदम के जरिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के मुद्दे को शांत करने की कोशिश कर रही है। आइए, जानते हैं ओपीएस और 8वें वेतन आयोग के बीच क्या अंतर है और क्या इस फैसले से विवाद की आग शांत हो पाएगी।

1. ओल्ड पेंशन स्कीम क्या है?

ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) सरकारी कर्मचारियों के लिए एक पुरानी पेंशन व्यवस्था थी, जिसके तहत रिटायर होने के बाद कर्मचारी को उनके अंतिम वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता था। यह व्यवस्था कर्मचारी के परिजनों के लिए भी लागू थी। 2004 में, मोदी सरकार ने इसे समाप्त कर दिया और इसके स्थान पर न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लागू की।

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2. OPS का बढ़ता विवाद

ओपीएस की समाप्ति के बाद से इसे फिर से लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। 2022 में, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश चुनावों में ओपीएस को लेकर सियासी हलचल मची। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने ओपीएस को फिर से लागू किया, जिससे पार्टी को चुनावी फायदा हुआ। ओपीएस की वापसी की मांग अब भी कई राज्यों में जारी है, जैसे कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान।

3. केंद्र सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच संघर्ष

केंद्र सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ओपीएस के विवाद को खत्म करने के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लागू किया, जो ओपीएस की तरह ही है। लेकिन कर्मचारी संगठनों ने इसे पूरी तरह से ओपीएस जैसा नहीं मानते हुए विरोध जताया। इस मुद्दे को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी हो रहे हैं, खासकर मध्य प्रदेश, बिहार और कर्नाटक में।

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4. 8वें वेतन आयोग का गठन: क्या ओपीएस की आग को शांत कर पाएगा?

8वें वेतन आयोग के गठन की सिफारिश को ओपीएस के विवाद को शांत करने के एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। 10 सालों में पहली बार वेतन आयोग का गठन किया गया है। इसे मोदी और अटल जी के कार्यकाल में पहली बार लागू किया गया है। सरकार का उद्देश्य यह है कि वेतन आयोग के माध्यम से कर्मचारियों के बीच बढ़ती असंतोष की भावना को शांत किया जाए और ओपीएस की मांग को कम किया जाए।

5. कर्मचारियों का महत्व और आगामी चुनावों पर असर

कर्मचारी वर्ग चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या 33 लाख के करीब है, और पेंशनधारकों की संख्या 52 लाख से अधिक है। यदि इन कर्मचारियों का समर्थन सरकार को मिलता है, तो यह आगामी चुनावों में एक बड़ी ताकत बन सकती है। कर्मचारियों को संतुष्ट रखने के लिए सरकार को कई कदम उठाने होंगे।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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