नई दिल्ली: 12 अक्टूबर, 2022 को, वाइल्डलाइफ एसओएस ने विश्व स्लॉथ भालू दिवस की स्थापना की, जिससे स्लॉथ भालुओं के संरक्षण को वैश्विक मंच पर प्रमुखता मिली। इस वर्ष, जब हम विश्व स्लॉथ भालू दिवस की दूसरी वर्षगांठ मना रहे हैं, वाइल्डलाइफ एसओएस ने अपने 30 वर्षों के वन्यजीव संरक्षण के सफर को भी याद किया है।
संरक्षण के 30 वर्षों की यात्रा
वाइल्डलाइफ एसओएस का सफर 1995 में दिल्ली के एक गैराज से शुरू हुआ, जब संस्था ने संकटग्रस्त जंगली जानवरों की मदद करने का काम आरंभ किया। आज, संस्था ने हजारों जानवरों को बचाने, उनका इलाज करने और पुनर्वास करने में सफलता हासिल की है। इनमें सबसे प्रमुख कार्य ‘डांसिंग’ भालुओं की क्रूर प्रथा का अंत करना है, जिसके तहत लगभग 700 स्लॉथ भालुओं को अभयारण्य में लाया गया है।
वर्तमान में, वाइल्डलाइफ एसओएस भारत भर में चार स्लॉथ भालू बचाव सुविधाओं का संचालन कर रही है। इनमें आगरा का भालू संरक्षण केंद्र, जो दुनिया का सबसे बड़ा स्लॉथ भालू संरक्षण केंद्र है, और बैंगलोर का बन्नेरघट्टा भालू बचाव केंद्र शामिल है।
गीता शेषमणि की प्रेरणादायक बातें
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक गीता शेषमणि ने कहा, “हमारे संरक्षण प्रयासों का प्रभाव पशु कल्याण से कहीं आगे तक फैला हुआ है। हम न केवल भालुओं को बचा रहे हैं, बल्कि कलंदर समुदाय को भी आजीविका के अवसर प्रदान कर रहे हैं।”
भविष्य के लिए सामूहिक प्रयास
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “भविष्य की रक्षा हमें स्वयं करनी है। यह सिद्धांत हमारे मिशन का केंद्र रहा है। अब प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है।”
संस्थान ने वन्यजीवों के पुनर्वास और संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। कार्तिक ने कहा, “हमें आशा है कि आने वाली पीढ़ियों को वन्य जीवन की सुंदरता और विविधता से भरा एक संपन्न ग्रह विरासत में मिलेगा।”
विश्व स्लॉथ भालू दिवस केवल एक अवसर नहीं है, बल्कि यह संरक्षण की एक गहरी यात्रा का प्रतीक है। वाइल्डलाइफ एसओएस का 30 वर्षों का अनुभव बताता है कि सामूहिक प्रयासों से हम न केवल भालुओं, बल्कि अन्य जंगली जीवों की रक्षा भी कर सकते हैं। आइए, हम सभी इस यात्रा में साथ मिलकर आगे बढ़ें और अपने वन्य जीवन का संरक्षण करें।