आगरा: दलित छात्रों से मारपीट मामला: बैकफुट पर आई फतेहपुर सीकरी पुलिस, पांच के खिलाफ गंभीर धाराओं में किया मुकदमा दर्ज, थाना प्रभारी की लापरवाही हुई थी उजागर

Dharmender Singh Malik
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घटना के 15 घंटे बाद रात्रि 11 बजे पीड़ित बच्चों को थाने बुलाया गया और मेडिकल के लिए भेजा गया। थाने में बैठे पीड़ित बच्चे। फोटो भारत

आगरा(फतेहपुर सीकरी) थाना फतेहपुर सीकरी क्षेत्र अंतर्गत गांव उंदेरा से फतेहपुर सीकरी स्थित अपने स्कूल में पढ़ने आ रहे दलित छात्रों के साथ मारपीट एवं जाति सूचक शब्दों के इस्तेमाल के बाद थाना पुलिस द्वारा बरती गई लापरवाही का मामला मीडिया की सुर्खियों में छाया था। आपको बता दें कि बीते मंगलवार सुबह हुई घटना के बाद जब पीड़ित परिवार अपने बच्चों के साथ थाने पर पहुंचा तो उनकी तहरीर पर थाना पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई थी। सुबह से शाम तक पीड़ित परिवार कार्रवाई के लिए भटकता रहा। उच्चाधिकारियों के संज्ञान में प्रकरण पहुंचने के बावजूद थाना पुलिस के कानों पर जूं नहीं रेंगी।पीड़ित बच्चों की वेदना मीडिया ने प्रकाशित की तो थाना पुलिस के हाथ पांव फूल गए। आनन फानन में देर रात्रि आरोपी पक्ष के उलफो , भुल्लू, सिंधी सहित दो अन्य के खिलाफ मारपीट, झगड़ा सहित एससी/एसटी की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया। घायल छात्र अखिलेश को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए सीएचसी रेफर कर दिया गया।

मासूम बच्चों की गुहार पर भी नहीं पसीजी थाना पुलिस

दबंगों द्वारा ईको वैन में बैठकर स्कूल जा रहे बच्चों को जाति सूचक शब्द एवं गाली गलौज दी। छात्र अखिलेश को बुरी तरह मारा पीटा। घटना के बाद मासूम स्कूली बच्चे थाने पर आपबीती बयां करने पहुंचे तो थाना प्रभारी द्वारा उनको पूरी तरह अनसुना करके टरकाने की कोशिश की। अखिलेश का सिर खून से लथपथ होने के बावजूद थाना पुलिस को कार्रवाई की जरूरत महसूस नहीं हुई।

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आखिर किसके दबाव में पीड़ित की फरियाद नहीं सुनी गई?

मंगलवार की सुबह लगभग सात बजे दलित बच्चों के साथ हुई मारपीट की घटना को थाना प्रभारी ने नजरअंदाज कर दिया। घायल पीड़ित को प्राथमिक उपचार के लिए भेजना भी जरूरी नहीं समझा। जब पीड़ित ने उच्च अधिकारियों से कार्यवाही की गुहार लगाई और मामला मीडिया में आया, तब देर रात अभियोग पंजीकृत किया गया। मंगलवार शाम को संवाददाता ने थाना प्रभारी से इस प्रकरण की जानकारी ली, तो उनका रवैया हड़काने वाला था। मामले पर सवाल पूछने पर उन्होंने इसे तूल न देने की हिदायत देते हुए पूछा, “कहां रहते हो?” – फतेहपुर सीकरी। आखिरकार, लापरवाह थाना प्रभारी पर कब कार्यवाही होगी?

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छेड़छाड़ पीड़िता का भी दर्ज नहीं हुआ मुकदमा

थाना फतेहपुर सीकरी क्षेत्र अंतर्गत एक गांव की एक महिला का भी प्रकरण इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। बीते दिनों महिला को गांव के दबंग ने बदनीयती से दबोचकर छेड़छाड़ की थी। दबंग के चंगुल से महिला किसी तरह बच सकी थी। घटना के बाद पीड़ित महिला दोपहर से लेकर देर रात्रि तक थाने पर बैठी रही। थाना पुलिस द्वारा उसकी फरियाद नहीं सुनी गई। पीड़ित महिला आज तक मुकदमा दर्ज करवाने के लिए अधिकारियों के दर पर भटक रही है। थाना पुलिस द्वारा उच्चाधिकारियों को भ्रमित कर घटना की संदिग्ध करार देने की पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं। पीड़ित महिला का कहना है कि उसके साथ घटना हुई है, जिसकी गवाह वह खुद है। इसके लिए वह और क्या सबूत लेकर आए। जब उसकी आबरू ही लुट जाती तभी थाना पुलिस को भरोसा होता कि घटना सही है या गलत।

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विशेषज्ञों की राय

सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में जातिवाद की गहरी जड़ों को उजागर करती हैं। पुलिस को ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।

सवाल उठ रहे हैं

इस पूरे मामले में कई सवाल उठ रहे हैं:

  • आखिर क्यों पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई नहीं की?
  • क्या पुलिस पर किसी तरह का दबाव था?
  • क्या पुलिस ने जानबूझकर इस मामले को दबाने की कोशिश की?

इस प्रकरण के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढें ये समाचार

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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