Agra News:आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल डा. अनुराग शुक्ला को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में राहत पाने में असफलता का सामना करना पड़ा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने उनके खिलाफ फेक डाक्यूमेंट्स के मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। डा. शुक्ला ने थाना लोहामंडी में दर्ज मुकदमे को खारिज कराने के लिए याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने चिंता जताई थी कि उच्च शिक्षा मंत्री उनकी गिरफ्तारी कर सकते हैं। हालांकि, उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
आगरा: आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल डा. अनुराग शुक्ला को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में राहत पाने की उम्मीदें उस समय ध्वस्त हो गईं, जब मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने उनके मामले की तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह एक फेक डाक्यूमेंट्स का मामला है, जिसके लिए उन्हें परिणाम भुगतने होंगे।
डा. शुक्ला ने हाल ही में थाना लोहामंडी में उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका में यह चिंता जताई गई थी कि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय उनकी गिरफ्तारी करा सकते हैं, इसलिए मामले की तुरंत सुनवाई की जानी चाहिए।
हालांकि, उनके लिए हालात और भी कठिन हो गए हैं। बीते दिन न्यायमूर्ति बीके बिरला ने भी उनकी याचिका को खारिज करते हुए तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं समझी। इस तरह, डा. शुक्ला को लगातार दो दिनों में उच्च न्यायालय से झटका लगा है।
मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान यह पता चला कि डा. शुक्ला के नौ दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट कर दिया कि अब यह मामला सामान्य प्रक्रिया के तहत सुना जाएगा, जिससे प्रिंसिपल पर पुलिस का शिकंजा कसने की संभावना बढ़ गई है।
इस बीच, आगरा कॉलेज के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य सुभाष दल के प्रार्थना पत्र पर सीजेएम ने डा. शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। आदेश मिलने के तुरंत बाद, डा. शुक्ला परिवार सहित आगरा से कहीं चले गए हैं और कॉलेज में उन्होंने अवकाश पर जाने की सूचना दी है।
अब यह देखना होगा कि क्या पुलिस डा. अनुराग शुक्ला के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करती है, जबकि वे अभी भी फरार हैं। इस मामले ने आगरा में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई चर्चा को जन्म दिया है और फर्जी दस्तावेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया है।