योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को दिखा रहा ठेंगा
आगरा। आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग में फैला भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। यहां हर काम की बोली लगती है। मौका मिलते ही चौका मारने में कोई पीछे नहीं है। यही कारण है कि विभाग को चारों ओर से भ्रष्टाचारियों ने घेर लिया है। एंटी करप्शन द्वारा पकड़े जाने पर खेल से पर्दा उठ जाता है, अन्यथा दबे हाथ सभी कार्य हो रहे हैं। स्थिति यह है कि हर साल यहां दो भ्रष्टाचारी पकड़े जाते हैं। इसके बाद भी हालात नहीं सुधरते। पूरे विभाग की छवि धूमिल हो गई है।
बच्चों को प्राथमिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने वाला विभाग अब सवालों के कठघरे में खड़ा है। विभाग में भ्रष्टाचार का दीमक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। एक प्रार्थना पत्र से लेकर यू-डाइस, मान्यता, मृतक आश्रित, निलंबन-बहाली, आरटीई, पेंशन, निरीक्षण, कोर्ट केस, किताबों के वेंडर, ड्रेस, मिशनरी स्कूलों में एडमिशन जैसे मामलों में विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता के आरोप लगते रहे हैं। विभागीय राजनीति और आपसी कलह की शिकायतें उच्चाधिकारियों तक पहुंची हैं। इन पर नकेल भी कसी गई है। साल 2016 से विभाग के 14 शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी ट्रैप हुए हैं और जेल गए हैं। फिर छूटकर वही काम करने लगते हैं। उनके हौसले पहले से काफी मजबूत दिखते हैं। इन्हें विभागीय अधिकारियों ने महत्वपूर्ण पटल भी सौंपे हैं।आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी 2020 में कनिष्ठ लिपिक राहुल गुप्ता, फरवरी 2021 में सहायक अध्यापक जितेंद्र शर्मा और जून 2023 में खंड शिक्षाधिकारी प्रमोद कुमार पकड़े गए थे। बाकी सालों में औसतन दो-दो कर्मचारियों को रंगे हाथ दबोचा गया है। इसके बाद भी बेसिक शिक्षा के हालातों में सुधार नहीं हुआ है।
कार्यालय में सन्नाटा, गुटबाजी के आरोप
विगत दिवस बेसिक के वरिष्ठ सहायक हर्ष शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद बेसिक शिक्षा विभाग में सन्नाटा पसर गया है। कर्मचारी से लेकर अधिकारी सभी सकते में हैं। हर किसी के पसीने छूट गए हैं और लोग सोचने पर मजबूर हैं। विभाग में इसे कोई कर्मचारियों की गुटबाजी का रूप दे रहा है तो कोई साजिशन फंसाने की बात कर रहा है। हर्ष के परिजन भी साजिश के तहत फंसाने का आरोप लगा रहे हैं।
लेकिन, एंटी करप्शन की इस कार्रवाई से माहौल गरमा गया है। कोई किसी के पास खड़े होकर बातचीत भी नहीं कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, एंटी करप्शन द्वारा हुई कार्रवाई विभाग में वर्चस्व की लड़ाई है। मोटी कमाई हाथ से फिसलते देख एक घाघ संविदा वाले विभागीय नुमाइंदे द्वारा पूरे खेल का तानाबाना बुना गया।
आगरा में गैंगवार जैसी स्थिति
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी जितेंद्र कुमार गोंड़ ने बताया कि कार्यालय में मीटिंग की तैयारियों को लेकर सूचना तैयार हो रही थी। रास्ते में रोककर वरिष्ठ सहायक हर्ष शुक्ला के साथ घटना हुई। विभाग में 90 से 95 फीसदी कार्य ऑनलाइन हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार का सवाल नहीं उठता है।हालांकि, ऐसी घटनाओं से आगरा में बीएसए और बीईओ पदों पर नियुक्ति के लिए अधिकारी तैयार नहीं होते। आगरा में गैंगवार जैसी स्थिति बन गई है। हर्ष की दो छोटी बेटियां हैं और घर की पूरी जिम्मेदारी उसी पर थी। प्रथम दृष्टया घटना के पीछे षड्यंत्र प्रतीत होता है। जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
भ्रष्टाचार करने वालों को मिलते हैं महत्वपूर्ण पटल
एंटी करप्शन टीम द्वारा पूर्व में रिश्वत लेते हुए बाबू राहुल गुप्ता को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। जेल से छूटने के बाद, नियमों को दरकिनार कर भ्रष्टाचार में लिप्त इस बाबू को मुख्यालय पर अटैच कर महत्वपूर्ण पटल दिया गया। इससे भ्रष्टाचार को आज तक बढ़ावा दिया जा रहा है।
अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद, ऐसे भ्रष्ट बाबुओं से मुख्यालय पर कार्य लिया जा रहा है। ऐसे में यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को धता बताते हुए भ्रष्टाचार को मूक सहमति दे रहे हैं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी की शह पर ही राहुल गुप्ता जैसे कई कर्मचारी नगर क्षेत्र से लेकर मुख्यालय तक गैंग विशेष चला रहे हैं और जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इससे शिक्षा विभाग की छवि के साथ प्रदेश सरकार की छवि पर भी बट्टा लग रहा है।