अंतरराष्ट्रीय योग केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है अल्मोड़ा का योग विज्ञान विभाग

Dharmender Singh Malik
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  • पिछले दिनों विभाग द्वारा आयोजित किया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
  • पूरे देश में बना चर्चा का विषय,कई सालों से विभाग कर रहा है समाजोपयोगी गतिविधियां

अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का योग विज्ञान विभाग 16 अप्रैल से 18 अप्रैल तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय संघोष्टि में विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों, योग गुरुओं के साथ ही भारत के अनेकों राज्यों के लोगों ने किया चिंतनयोग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में स्वामी विवेकानंद ,सत्या नन्द सरस्वती, रवींद्रनाथ टैगोर सहित अनेकों सन्तो की कर्मस्थली रही अल्मोड़ा आकर्षण का केंद्र रही।

सेमिनार में विभिन्न देशों सहित लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया तो प्रत्येक विशेषज्ञ व प्रतिभागी योग विज्ञान विभाग के शिक्षकों व छात्र-छात्राओं की प्रशंसा करना नही भूले ।इस सेमिनार की तैयारियां पिछले कुछ महीनों से चल रही थी।जिसकी व्यवस्थाओं के सफल एवम सुचारू संचालन के लिए योग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष व सेमिनार के आयोजक सचिव डॉ नवीन भट्ट द्वारा विभिन्न समितियां गठित की गई थी।

अल्मोड़ा प्रारम्भ से ही सांस्कृतिक नगरी के रूप में जाना जाता रहा है। स्वामी विवेकानन्द जी की गहरी यादें भी अल्मोड़ा से जुड़ी हुई है।अल्मोड़ा आगमन से पूर्व आगन्तुकों को नीम करौली महाराज , सोमवारी बाबा व गुदड़ी महाराज जैसे योगियों जिन्होंने अपनी अनेकों सिद्धियों से चमत्कार कर लोक सेवा की थी। उनके आश्रमों से गुजर कर अल्मोड़ा पहुचते है।अल्मोड़ा अनेकों संत ,महात्माओं व योगियों की तपस्थली रही है।

स्वामी विवेकानंद जी को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष का ज्ञान अल्मोड़ा के काकड़ीघाट नामक स्थान पर प्राप्त हुआ। अल्मोड़ा के लोधिया नामक स्थान पर स्वामी जी भूख व प्यास से अचेत हो गए थे।तब अल्मोड़ा के एक फकीर ने उनकी प्राण रक्षा की थी।स्वामी विवेकानन्द को अल्मोड़ा के लोगों के साथ आत्मिक संबंध बन गए थे ।

स्वामी जी 11 मई ,1894 को अल्मोड़ा आगमन पर अपने संबोधन में कहा था कि मैं अल्मोड़ा को एक वैदिक शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करना चाहता हूं। स्वामी जी ने अल्मोड़ा में अनेकों स्थानों पर ध्यान किया जिसमें कसार देवी प्रमुख स्थान है। जहाँ पर नासा के वैज्ञानिकों ने अपने शोधों में आध्यात्मिक शक्ति का होना पाया है। जिसे देखने आज भी हजारों पर्यटक अल्मोड़ा आते है। इतना ही नही उत्तराखंड में न्याय के देवता के रूप में जाने वाले लोक देवता गोलू जी का मंदिर भी यहीं स्थित है।

इसके अतिरिक्त योगियों के महायोगी महादेव का प्रसिद्ध मंदिर जागेश्वर धाम भी यहीं है। बारह वर्ष की अवस्था मे सन्यास लेकर सिद्धि प्राप्त करने वाले कल्याण दास जी महाराज का डोल आश्रम भी यही है जहाँ पर योग आदि के साथ अनेकों सेवा के प्रकल्प संचालित किए जाते है।अल्मोड़ा मुंगेर बिहार के संस्थापक सत्यानन्द सरस्वती जी की जन्म स्थली भी है।

भारत का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में कण-कण में देवता विराजमान है।चारों तरफ से पर्वत श्रीख़लाओ जिनमे कसार, बानडी देवी ,श्याही देवी के साथ ही अष्ट भैरव से घिरे योग विज्ञान विभाग में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में विश्व के लोगों ने योग ,संस्कृति व गंगा पर गहरा चिंतन किया गया।शोध पत्रों के व्यवस्थित वाचन व अन्य व्यावथाओं से प्रत्येक प्रतिभागी ने प्रसंशा की वास्तव में सेमिनार व अनेकों गतिविधियों से योग विज्ञान विभाग अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में विकसित होता जा रहा है।योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा नए विश्व के विकास में योग एवं भारतीय संस्कृति की भूमिका विषय पर त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

अर्थ गङ्गा : संस्कृति, विरासत एवं पर्यटन के अंतर्गत 16 से 18 अप्रैल, तक होगा योग, आध्यात्म,वेद, विज्ञान, आयुर्वेद, गङ्गा, संस्कृति, इतिहास, साहित्य, शिक्षा, अर्थ, मनोविज्ञान, विधि आदि विभिन्न विषयों पर हुआ मंथन

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 300 से अधिक विशेषज्ञ, शोधार्थियों, एवं विद्यार्थियों ने किया प्रतिभाग

योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा 16 से 18 अप्रैल, 2023 को अर्थ गङ्गा: संस्कृति, विरासत, एवं पर्यटन के अंतर्गत “नए विश्व के विकास में योग एवं भारतीय संस्कृति की भूमिका” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस संगोष्ठी में गङ्गा के वैज्ञानिक, आध्यात्मिक एवं आर्थिक महत्व पर चर्चा के साथ ही योग,आयुर्वेद, वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति, पर्यटन, भारतीय संस्कृति, इतिहास,अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, समाज, शिक्षा एवं विज्ञान के क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय स्तर के विचार-नवाचार एवं ज्ञान की विभिन्न विधाओं का आदान-प्रदान किया गया।

संगोष्ठी के प्रथम दिवस में उद्घाटन के पश्चात तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ

16 से 18 अप्रैल,2023 तक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो ईश्वर भारद्वाज(अधिष्ठाता शैक्षणिक, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार), कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट,(कुलपति,प्रतिनिधि एवं परिसर निदेशक, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर-अल्मोड़ा, विशिष्ट अतिथि प्रो सोमवीर आर्य (स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, भारतीय दूतावास, सूरीनाम, दक्षिण अमेरिका), प्रो सुरेंद्र त्यागी(संकायाध्यक्ष,योग एवं शारीरिक शिक्षा संकाय, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार), प्रो0 सुरेश बर्नवाल (विभागाध्यक्ष, योग विभाग, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार) प्रो विनोद नौटियाल(पूर्व विभागाध्यक्ष,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग,हेमवती नंन्दन बहुगुणा, केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल) प्रो0 सरस्वती काला(विभागाध्यक्ष,योग विभाग, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय,देहरादून) डॉ गोगोई (प्राचार्य प्रतिनिधि, सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, अल्मोड़ा) कार्यक्रम संयोजक डॉ नवीन भट्ट आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया। उद्घाटन अवसर पर संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत गाया। योग विज्ञान विभाग द्वारा सभी अतिथियों का बैज अलंकरण कर, शॉल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।

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मुख्य अतिथि के रूप में प्रो ईश्वर भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में योग, आयुर्वेद एवं यम, नियम, प्रत्याहार आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से हम अपने स्वास्थ्य एवं जीवन शैली को बेहतर बना सकते हैं।

कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में अधिष्ठाता प्रशासन प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ने अपने उद्बोधन में कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग द्वारा प्राचीन भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाया जा रहा है। इस अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में देश एवं विदेशों से आये हुए विद्वान विमर्श कर योग के विभिन्न पहलुओं में चर्चा करेंगे। साथ ही जो भी निष्कर्ष निकलेंगे, वो देश एवं समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। विशिष्ट अतिथि प्रो सोमवीर आर्या (अमेरिका) ने अपने उद्बोधन में योग विज्ञान विभाग की सराहना की। उन्होंने कहा कि योग को जन जन तक ले जाने के लिए योग विज्ञान विभाग का प्रयास सराहनीय है। योग विज्ञान विभाग के प्रयासों से विश्वविद्यालय को नवीन उपलब्धियां मिल रही हैं। उन्होंने योग एवं वर्तमान परिदृश्य पर केंद्रित उद्बोधन दिया। विशिष्ट अतिथि रूप में प्रो सुरेंद्र त्यागी ने कहा व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आना जरूरी है। बिना सकारात्मक हुए हम सफल राष्ट्र बनाने की कल्पना नहीं कर सकते। इसके लिए आवश्यक है कि योग को अपने जीवन में अपनाएं।

विशिष्ट अतिथि प्रो0 सुरेन्द्र त्यागी ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य विरासत है जिसे सम्पूर्ण विश्व सम्मान से स्वीकार करता है। भारत की वैभवशाली संस्कृति ही उसे विश्व गुरु बनाती है।

विशिष्ट अतिथि प्रो विनोद नौटियाल ने कहा कि योग विज्ञान विभाग ने समाज और राज्यहित में कार्य किया है। भारत की प्राचीन संस्कृति और योग को आगे ले जाने में यह विभाग बहुत तन्मयता के साथ कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम संयोजक डॉ नवीन भट्ट आदि ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह स्वामी विवेकानन्द जी की भूमि है। स्वामी विवेकानन्द जी ने वैदिक ज्ञान और भारत की संस्कृति को लेकर इस भूमि में जो स्वप्न देखा था, उस दिशा में योग विज्ञान विभाग कार्य कर रहा है। योग, वेद, पुराण आदि को लेकर जो निष्कर्ष इस सेमिनार में निकलेगा वो हमारे राज्य के लिए उपयोगी होंगे। उन्होंने योग विज्ञान विभाग के कार्यों की विस्तार से बात रखी। साथ ही उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। इस सेमिनार में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 170 शोध पत्र पढ़े जाएंगे।

उद्घाटन सत्र के उपरांत अलग अलग जगह दो तकनीकी सत्र संचालित हुए। प्रथम तकनीकी सत्र में अध्यक्षता प्रो सरस्वती काला, सह अध्यक्षता प्रो अर्पिता चटर्जी ने की। इस सत्र का संचालन रजनीश जोशी ने किया। द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो आराधना शुक्ला ने अध्यक्षता की एवं सह अध्यक्षता प्रो शीतल राणा ने की और इस सत्र का संचालन मोनिका भेसौड़ा ने की।

तृतीय सत्र में अध्यक्षता प्रो ईश्वर भारद्वाज एवं प्रो सुरेंद्र त्यागी एवं सह अध्यक्षता डॉ भानुप्रकाश जोशी, डॉ घनश्याम ठाकुर ने की। इन सत्रों में दर्जनों शोधपत्रों का वाचन किया गया।

इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में टर्की, अमेरिका, अफ्रीका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, भारत आदि देशों के योग प्रतिनिधियों के साथ योग साधकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के साथ डॉ दीपक कुमार, लल्लन सिंह, विद्या नेगी, रजनीश जोशी, विश्वजीत वर्मा, गिरीश अधिकारी, हेमलता अवस्थी, मोनिका भेसौड़ा,डॉ रजनी नौटियाल, डॉ भानुप्रकाश जोशी,डॉ घनश्याम ठाकुर, प्रो हामिद, प्रो प्रतिमा वशिष्ठ, डॉ सबीहा नाज, प्रो रिजवाना सिद्धिकी, चंदन बिष्ट, चंदन लटवाल, डॉ संगीता पवार, डॉ विवेक कुमार, प्रो शेखर चन्द्र जोशी, डॉ नीलम, डॉ महेंद्र मेहरा आदि सहित सैकड़ों विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
योग विज्ञान विभाग में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन आठ तकनीकी सत्र संचालित हुए

योग, आध्यात्म, वेद, हवन, मनोविज्ञान, समाज, संस्कृति, साहित्य एवं शिक्षा पर हुआ मंथन

आजादी का अमृत महोत्सव, नमामि गंगे, विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र, यू कॉस्ट, जी 20 और अर्थ गङ्गा : संस्कृति, विरासत एवं पर्यटन के अंतर्गत 16 से 18 अप्रैल तक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन कई शोध छात्रों ने योग विज्ञान, आसनों का प्रभाव, अवसाद, योग परंपरा, योग दर्शन, रजोनिवृत्ति, वैदिक आहार,कोविड-19 से उपजती चुनौती, नेति का साईनेस पर प्रभाव, ध्यान, मुद्राओं का एकाग्रता, एक्यूप्रेशर, अष्टांग योग, तत्व ज्ञान, तनाव, ध्यान, औषधीय पौधे एवं योग, त्राटक अभ्यास, सामाजिक एवं आर्थिक विकास में योग का प्रभाव विषयों पर शोध पत्रों का वचन किया गया।
दूसरे दिन संचालित किए गए अलग अलग सत्रों में प्रो विकास रावत (विभागाध्यक्ष, स्वामी विवेकानन्द योग अनुसंधान,संस्थान, बैंगलौर), प्रो इला साह (अधिष्ठाता छात्र कल्याण , सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा), प्रोफेसर कंचन जोशी (योग विज्ञान विभाग श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून), डॉ विनोद नौटियाल (पूर्व विभागाध्यक्ष योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल), डॉक्टर रजनी नौटियाल (योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल), प्रोफेसर जी.डी. शर्मा (पूर्व विभागाध्यक्ष योग अध्ययन विभाग हिमाचल प्रदेश) ने विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता की एवं डॉ सुनीता सिंह (शिक्षा संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी), डॉ.धनी आर्य (विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान विभाग, डॉ ममता पंत, डॉ घनश्याम ठाकुर ( योग एवं नेचुरोपैथी विभाग हेमंती नंदन सेंट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल),डॉक्टर रमेश कुमार (योग विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली), डॉक्टर एन.के.श्रीधर (कुलसचिव, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु)प्रो0 साधना दौनेरिया (विभागाध्यक्ष बरकतउल्ला विश्वविद्यालय,भोपाल) प्रो0 सोनी कुमारी(स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर)ने इन अलग अलग सत्रों में अध्यक्षता एवं सह अध्यक्षता की। इसके साथ डॉक्टर बलवंत कुमार (वनस्पति विज्ञान विभाग), डॉ नंदन सिंह बिष्ट (भौतिकी विज्ञान विभाग),डॉ हरीश जोशी ने सत्रों में बीज व्याख्यान दिया।

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आज विभिन्न सत्रों में डॉक्टर तुषार भट्ट, रजनीश कुमार जोशी, पुष्पा भट्ट, दीपिका पुनेठा,पूजा पांडे,इंद्र मोहन पंत,सपना, प्रियंका राणा,डॉ सीमा चौहान, शालिनी सिंह,विजय शंकर यादव, डॉ विमल चंद्र कांडपाल, जयंती चंद, चंदन सिंह लटवाल, चंदन सिंह बिष्ट, सीताराम, अर्चना कांडपाल, धूलिया, ललिता जाला,अजय सिंह, सुरभि चंद, भावना पांडे, कल्पना रावत, रजनीश कुमार गुप्ता,राजविंदर कौर, तेजपाल सिंह, दिव्या मित्तल,गिरीश सिंह अधिकारी, भावेश पांडे, कुमारी ज्योति,श्री संजीव त्यागी,डॉरिजवाना सिद्दीकी, निवेदिता भांजा,डॉ मनुहर आर्य,दीपा मेहरा,पारुल सैनी डॉ जयप्रकाश कंसवाल,रश्मि पटेल, अरुण तुलसिया आदि ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।

कार्यक्रम संयोजक डॉ नवीन भट्ट ने बताया कि सभी सत्र देश के विद्वानों के सानिध्य में संचालित हो रहे हैं । योग, आध्यात्म, संस्कृति को लेकर विद्वान मंथन कर रहे हैं। इस संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में जो निष्कर्ष आएंगे, वो समाज को बेहतर बनाने के लिए कारगर सिद्ध होंगे। विभिन्न सत्रों में रजनीश जोशी, विद्या नेगी ने संयुक्त रूप से संचालन किया।

इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में टर्की, अमेरिका, अफ्रीका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, भारत आदि देशों के योग प्रतिनिधियों के साथ योग साधकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के साथ डॉ भानु प्रकाश जोशी, डॉ दीपक ,रजनीश जोशी, विश्वजीत वर्मा, गिरीश अधिकारी, लल्लन सिंह, हिमांशु परगाई, विद्या नेगी,हेमलता अवस्थी, प्रो प्रतिमा वशिष्ठ, डॉ. ममता पंत, डॉ. भुवन चन्द्र, प्रो कंचन जोशी, डॉ रमेश कौर, डॉ कमलेश शक्टा, डॉ रवींद्र कुमार, डॉ ललित जोशी, डॉ विनोद कुमार, डॉ उदय सिंह, डॉ योगेश मैनाली, डॉ भानु प्रकाश जोशी,डॉ विजय सिंह मेहता, डॉ राजविन्दर कौर आदि सहित सैकड़ों विद्यार्थियों ने सहभागिता की।

  • संगोष्ठी का तीसरा दिन नमामि गंगे को समर्पित रहा

विभिन्न सत्रों में पतितपावनी माँ गंगा की वैभवता, आध्यात्मिकता, वैज्ञानिकता, और उसके पुनरुद्धार, योग एवं मेडिकल टूरिज्म, को लेकर हुआ मंथन

तीसरे दिन आयोजित हुए विभिन्न सत्र पतितपावनी गंगा और उसके पुनरुद्धार को लेकर समर्पित रहे। दर्जनों शोधार्थियों ने शोधपत्रों का वाचन किया गया अलग-अलग स्थानों पर सत्र संचालित हुए। जिसके विभिन्न तकनीकी सत्र में प्रो. नागेंद्र द्विवेदी (प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय टनकपुर) , प्रोफेसर कमलेश शक्टा (असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत, स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,लोहाघाट) ने अध्यक्षता की।
सह अध्यक्षता डॉ शीतल राम ने की। तकनीकी सत्रों का संचालन विद्या ने किया।
योग विज्ञान विभाग में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का तीसरे दिन भव्य समापन हुआ
समापन अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट सहित प्रख्यात विद्वान शामिल हुए
आजादी का अमृत महोत्सव, नमामि गंगे, विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र, यू कॉस्ट, जी 20 और अर्थ गङ्गा : संस्कृति, विरासत एवं पर्यटन के अंतर्गत 16 से 18 अप्रैल तक आयोजित हुए तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ।

समापन अवसर पर सत्र के अध्यक्ष और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट, मुख्य अतिथि विधायक श्री मनोज तिवारी, विशिष्ट अतिथि रूप में विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. इला बिष्ट, डॉ. मुकेश सामंत (कुलानुशासक),अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो इला साह, प्रो. रजनी नौटियाल, प्रो विनोद नौटियाल, प्रो आराधना शुक्ला और कॉन्फ्रेंस संयोजक डॉ नवीन भट्ट, संचालक रजनीश जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित किया।

योग विज्ञान विभाग द्वारा समापन सत्र के मंचासीन अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर, शॉल ओढ़ाकर एवं उनका बैज अलंकरण कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। साथ ही विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत से अतिथियों का स्वागत किया।

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कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ नवीन भट्ट ने अतिथियों का स्वागत कर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस की विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में आयोजित हुए विभिन्न सत्रों के निष्कर्ष को प्रस्तुत किया। डॉ भट्ट ने बताया कि ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सत्रों का संचालन किया गया, जिसमें देश-विदेशों के विद्वानों ने सहभागिता की। 12 राज्यों यथा- महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार आदि एवं मॉरिशस, ऑस्ट्रेलिया, टर्की जैसे राष्ट्रों से योग विज्ञान के 170 विद्वानों ने शोध पत्र पढ़े। अल्मोड़ा को लेकर उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी का इस भूमि से लगाव रहा है। उनका स्वप्न था कि वो इस भूमि से भारतीय संस्कृति, योग, आध्यात्म के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करें। आज योग विज्ञान विभाग उनके स्वपनों को साकार करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
विशिष्ट अतिथि रूप में प्रो रजनी नौटियाल ने कॉन्फ्रेंस की सराहना करते हुए आयोजकों को बधाइयाँ दी। उन्होंने विश्व के विकास के लिए योग को आवश्यक बतलाया।

प्रो विनोद नौटियाल ने कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट एवं डॉ नवीन भट्ट की प्रशंसा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को ऐसे कुलपति एवं ऐसे योग गुरु मिलना असंभव है। उन्होंने कहा कि यह कांफ्रेंस योग के प्रसार के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द की भूमि में योग और अध्यात्म को लेकर किये जा रहे चिंतन पर विस्तार से बात रखी।
विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ इला बिष्ट ने योग में कॉन्फ्रेंस आयोजित कराने के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।
प्रो आराधना शुक्ला (पूर्व संकायाध्यक्ष) भारतीय संस्कृति के उन्नयन में योग विज्ञान विभाग की भूमिका की सराहना की।

मुख्य अतिथि रूप में बारामंडल क्षेत्र के विधायक श्री मनोज तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा की यह भूमि विश्वविख्यात रही है। इस भूमि में योग को लेकर अपार संभावनाएं हैं। यह भूमि योग साधकों के लिए अनुकूल है। इसी नगर में स्थित सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग द्वारा समाजपयोगी कार्यक्रमों की सराहना की।

confrence अंतरराष्ट्रीय योग केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है अल्मोड़ा का योग विज्ञान विभाग

समापन अवसर के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट ने अपने उद्बोधन में योग की निष्पत्ति और उसके क्षेत्र पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि योग का अर्थ जोड़ से है। योग सभी को आपस में जोड़ता है। उन्होंने भारतीय परंपरा के आलोक में योग की भूमिका पर बात रखी। प्रो बिष्ट ने कहा कि प्राचीन समय से योग प्रचलन में है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, समाधि आदि ही योग है। योग को अपनाकर अपने व्यक्तित्व का विकास करें। आज के आपाधापी के दौर में योग हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है। उन्होंने योग के संबंध में कहा कि कौशल की दृष्टि से भी योग महत्वपूर्ण होता है। भारतीय संस्कृति को लेकर अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत प्राचीन है। जिसके आदर्श, मूल्यों को प्रसारित करने में योग विज्ञान विभाग एवं डॉ नवीन भट्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कोरोनाकाल में भी इस विभाग ने सामाजिक उत्तरदायित्व समझते हुए कार्य किये हैं। आगे कहा कि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का योग विभाग इन कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी साख बनाए हुए है। उन्होंने कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ भट्ट एवं उनकी पूरी टीम को अपनी ओर से शुभकामनाएं प्रेषित की।

सत्र में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो इला साह और कुलानुशासक डॉ मुकेश सामंत ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं।

इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ ललित चन्द्र जोशी को विश्वविद्यालय में उनके समर्पण भाव से कार्य करने के लिए संगोष्ठी के संयोजक डॉ नवीन भट्ट एवं डॉ तेजपाल सिंह ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में डॉ बिभाष मिश्रा, डॉ संदीप कुमार, प्रो घनश्याम ठाकुर, डॉ विकास रावत, डॉ.संदीप त्यागी, विश्वजीत वर्मा, गिरीश अधिकारी, लल्लन सिंह, हिमांशु परगाई, विद्या नेगी,हेमलता अवस्थी, डॉ दीपक ,डॉ प्रतिमा वशिष्ठ, डॉ. ममता पंत, डॉ महेंद्र मेहरा, प्रो कंचन जोशी, डॉ रमेश कौर, डॉ कमलेश शक्टा, डॉ रवींद्र कुमार, डॉ कुसुमलता आर्या, डॉ पुष्पा वर्मा, डॉ सुभाष चन्द्र, डॉ योगेश मैनाली, डॉ रिजवाना सिद्धिकी, डॉ कविता, डॉ राजविन्दर कौर, भावेश आदि सहित योग विज्ञान के सैकड़ों विद्यार्थियों, शोध छात्रों, योग गुरुओं, विद्वानों ने सहभागिता की।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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