घोटाले को दबाने के लिए शिकायत के निस्तारण में प्रशासनिक अधिकारी को कर दिया गुमराह, बीईओ की जांच आख्या को उच्चाधिकारियों ने कर दिया नजरंदाज

Jagannath Prasad
3 Min Read

आगरा। बेसिक शिक्षा विभाग आगरा में घोटाले होना नई बात नहीं है। विगत में हुए कथित घोटालों पर परदा डालने में महारत हासिल कर चुके अधिकारियों का एक और कारनामा सामने आया है। आम जनता से करों के मद में मिलने वाली धनराशि को सरकार, देश की बुनियाद रूपी बच्चों की शिक्षा हेतु शिक्षकों को वेतन मद में प्रदान करती है। उसी धनराशि को हड़पने के लिए कॉकस ने जो खेल खेला, उसका भंडाफोड़ हो चुका है।
आपको बता दें कि आईजीआरएस पर दर्ज हुई शिकायत में जगनेर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय कासिमपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापक शैलेंद्र कुमार सिंह को घर बैठे वेतन जारी करने के प्रकरण में तत्कालीन कार्यालय सहायक योगेंद्र कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे। योगेंद्र कुमार को बचाने की खातिर प्रथम चरण में शिकायत का आनन फानन में निस्तारण कर दिया गया। दुबारा फीडबैक दर्ज कराने पर बीएसए द्वारा बीईओ जगनेर से शिकायत के बिंदुओं पर जांच आख्या मांगी। बताया जा रहा है कि बीईओ की जांच आख्या बेहद ही चौंकाने वाली है। बीईओ जगनेर द्वारा शैलेंद्र कुमार सिंह को घर बैठे वेतन जारी करने की पुष्टि करते हुए एवं योगेंद्र कुमार के कथनानुसार हवाले से अपनी जांच आख्या में दूसरे कार्यालय सहायक विष्णु शर्मा को दोषी ठहराया है। उधर बीएसए द्वारा शिकायत के निस्तारण हेतु आईजीआरएस प्रभारी अधिकारी को इस महत्वपूर्ण बिंदु से पूरी तरह गुमराह करते हुए कथित रूप से घोटाले को दबाने की कोशिश की है।

See also  बीएसए आगरा कार्यालय में अटैचमेंट के खेल की खुलने लगी परतें, पढ़े पूरा मामला

कार्यालय सहायक ने बीईओ की जांच आख्या पर उठाए सवाल

इस मामले में बीईओ द्वारा दोषी ठहराए गए कार्यालय सहायक ने सहायक अध्यापक को घर बैठे वेतन जारी करने के प्रकरण में अपनी संलिप्तता से साफ इंकार किया है। उसने कहा कि उसे जांच आख्या की कोई जानकारी नहीं है।

बड़ा सवाल, क्या शिक्षक से होगी रिकवरी और दोषियों पर कार्रवाई

सरकारी धन का गबन करना गंभीर अपराध माना जाता है। शैलेंद्र कुमार को सिंह को लगातार अनुपस्थिति के बावजूद वेतन जारी होता रहा। उच्चाधिकारियों ने इसका संज्ञान लेना जरूरी नहीं समझा। बीआरसी पर कार्यालय सहायक द्वारा ही वेतन निर्धारण की प्रक्रिया की जाती है। वर्षों बीतने के बावजूद, विभाग ने शिक्षक से वेतन की रिकवरी और दोषियों पर कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी।

See also  विद्यालय से अनुपस्थित, वेतन जारी: अध्यापक और बिल बाबू की मिलीभगत, फर्जीवाड़ा उजागर

See also  विद्यालय में ताला, अध्यापक गायब: शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

error: AGRABHARAT.COM Copywrite Content.