भजन लाल का वंश हरियाणा में शानदार ढंग से फल-फूल रहा है। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल का नाम तीसरे बड़े राजनीतिक परिवारों में आता है। चौधरी देवी लाल और चौधरी बंसी लाल की तरह, भजन लाल के दो बेटे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इस परिवार के कई सदस्य इस बार भी हरियाणा के चुनावी समर में सक्रिय हैं।
भजन लाल को मिला था देवीलाल की सरकार गिराने का इनाम
भजन लाल के राजनीतिक उत्तराधिकारियों के बारे में चर्चा करने से पहले, उनके बारे में जानना जरूरी है। हरियाणा की राजनीति में भजन लाल वो नाम हैं जिन्होंने राज्य में जाटों के एकाधिकार को चुनौती दी। भजन लाल परिवार बिश्नोई समाज से ताल्लुक रखता है। 1977 में इमरजेंसी के बाद जब चुनाव हुए, तब हरियाणा में जनता पार्टी की सरकार बनी और चौधरी देवी लाल मुख्यमंत्री बने।
1980 में इंदिरा गांधी ने केंद्र में सत्ता संभालने के बाद जनता पार्टी की राज्य सरकारों को गिराना शुरू किया। हरियाणा में चौधरी देवी लाल की सरकार गिराने के लिए भजन लाल का सहारा लिया गया। भजन लाल ने तत्कालीन मंत्री खुर्शीद पर हाथ रखा, जिससे खुर्शीद ने जनता पार्टी के कई विधायकों को तोड़कर भजन लाल का साथ दिया। इस पर इंदिरा गांधी इतनी खुश हुईं कि उन्होंने भजन लाल को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया।
1982 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फिर से बहुमत मिला और इंदिरा गांधी ने भजन लाल को फिर से मुख्यमंत्री बना दिया।
भजन लाल के उभार से जाट समाज के प्रमुख कांग्रेस नेता चौधरी बंसी लाल नाखुश थे। 1986 में बंसी लाल के दबाव में इंदिरा गांधी ने भजन लाल को हटाकर बंसी लाल को मुख्यमंत्री बना दिया। भजन लाल को वन और पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई, और उन्होंने इस मंत्रालय को इतना महत्वपूर्ण बना दिया कि लोग इसके महत्व को समझने लगे।
1991 में भजन लाल को फिर से हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला।
अब बात भजन लाल के राजनीतिक वारिसों की। भजन लाल के दो पुत्र चंद्र मोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई हैं, जो दोनों राजनीति में सक्रिय हैं। भजन लाल की पत्नी जसमा देवी भी चुनाव लड़ चुकी हैं।
चंद्र मोहन के करियर पर ग्रहण
चंद्र मोहन बिश्नोई कुछ साल पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बार वह पंचकूला सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2005 में चंद्र मोहन मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने भूपेंद्र हुड्डा को चुना। चंद्र मोहन का राजनीतिक कद बढ़ रहा था, लेकिन दूसरी शादी के विवाद में फंसने के कारण उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा।
कुलदीप ने अपने बेटे को भी राजनीति में उतारा
भजन लाल के छोटे पुत्र कुलदीप बिश्नोई राजनीति में अपने बड़े भाई से तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। कुलदीप दो साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं और अपनी पत्नी रेणुका को भी राजनीति में उतारा है। इस चुनाव में उन्होंने अपने बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर सीट से चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है, जिसे भजन लाल का परिवार 16 बार जीत चुका है।
कुलदीप ने 2009 में अपनी अलग पार्टी भी बनाई थी और हरियाणा की अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। वह छह विधायकों को जिताने में सफल रहे, लेकिन कांग्रेस ने उनके पांच विधायकों को तोड़कर उन्हें बड़ा झटका दिया।
भजन लाल के भतीजे की पसंद भाजपा
भजन लाल के भाई का एक बेटा भी राजनीति में सक्रिय है और उसने बीजेपी का दामन थाम रखा है। भाजपा ने उसे चुनाव में भी उतारा है। अच्छी बात यह है कि भजन लाल के परिवार में चौधरी देवी लाल और बंसी लाल के परिवारीजनों जैसी कटुता नहीं है, हालाँकि इस परिवार के सदस्यों की राजनीतिक राहें अलग-अलग हैं। सभी का दावा भजन लाल की राजनीतिक विरासत पर है।