मथुरा। महंगाई की वजह से लोगों की जेब पर भारी बोझ पड़ रहा है। सब्जियों के दाम भी अब आम आदमी के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं, और त्योहारों की खुशी भी तनाव के साथ आती है। रोजमर्रा की ज़िंदगी अब महंगी हो गई है, जिसमें आटा-दाल की कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं। ब्रजवासी महंगाई का इलाज ‘धीमे जहर’ के जरिए निकाल रहे हैं, जिसका मतलब है कि वे फास्ट फूड का सहारा ले रहे हैं और दुग्ध उत्पादों के बाजार में चौंकाने वाली सस्ती दरों पर भरोसा कर रहे हैं।
दूध और दूध से बने उत्पादों की कीमतें अब काफी सस्ती हैं। गांवों में दूध 60 रुपये और शहरों में 70 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। पनीर 100 रुपये प्रति किलो, घी 250 से 300 रुपये प्रति किलो, मावा 100 से 150 रुपये प्रति किलो और दूध से सस्ता दही भी खूब मिल रहा है। फास्ट फूड की दुकानों पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों में भी यही सस्ते दुग्ध उत्पाद उपयोग में लाए जा रहे हैं।
हालांकि, मसालों, तेल और अन्य खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता भी कीमतों के हिसाब से खराब है। लोग जानते हैं कि जो खाद्य पदार्थ वे खरीद रहे हैं, उनकी वास्तविक कीमत उससे कहीं अधिक है, लेकिन मजबूरीवश वे इन्हें खरीद रहे हैं और परिवार को खिला रहे हैं। जानकारों के अनुसार, दिहाड़ी मजदूरों और सामान्य वेतन वाले लोगों के लिए मानक गुणवत्ता और पौष्टिकता वाला भोजन उपलब्ध कराना अब बेहद मुश्किल हो गया है।
राजस्थान और मेवात से हो रही बड़ी मात्रा में सप्लाई
राजस्थान और मेवात से मथुरा और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भारी मात्रा में मिलावटी घी सप्लाई हो रहा है। सितंबर 2023 में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मिलावट की आशंका में 400 लीटर घी को नष्ट कर दिया था, लेकिन इसके बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
महंगाई का असर अब इतना बढ़ गया है कि पूजा के लिए भी महंगे घी की उपलब्धता एक समस्या बन गई है। बाजार में 200 से 250 रुपये प्रति किलो का घी आसानी से मिल रहा है, जबकि शुद्ध भैंस का घी 1000 से 1200 रुपये प्रति किलो और गाय का घी इससे भी महंगा है। लोगों के लिए अब मंदिर में दीपक जलाने के लिए भी इतना महंगा घी खरीदना एक बड़ी चुनौती बन गया है।