Chhoti Diwali 2022: नरक चतुर्दशी में बुजुर्ग को ही जलाना चाहिए घर के द्वार पर दीया, जानें इसके पीछे की ये खास वजह

Chhoti Diwali 2022: छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से लगभग 16 हजार महिलाओं को आजाद कराकर उनकी रक्षा की थी। इसलिए दिवाली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस पर्व में शाम के समय घर के द्वार पर यम देव के नाम का दीया जलाया जाता है। कहा जाता है कि यम देव के नाम का दीपक जलाने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु नहीं होती है। खास बात यह है कि यम देव के नाम का दीपक घर के बुजुर्ग को चलाना चाहिए। प्रत्येक वर्ष शाम के समय घर के बुजुर्ग द्वार पर दीपक जलाते हैं। लेकिन ऐसा करने के पीछे की वजह क्या है? चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन बुजुर्ग को क्यों जलाना चाहिए दीपक?

छोटी दिवाली में दीया जलाने की परंपरा

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नरक चतुर्दशी की शाम में घर के द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है। इसे बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि घर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को छोटी दिवाली की शाम एक दीया जलाना चाहिए और पूरे घर में दीपक जलाकर घुमाना चाहिए। दीपक को घुमाते हुए बुजुर्ग घर के बाहर आ जाते हैं और कहीं दूर रख देते हैं।

क्या है यम के दीया की पौराणिक कथा?

यम देव के नाम का दीया जलाने की खास वजह है। पौराणिक कथा के मुताबिक, यम देव ने अपने दूतों को अकाल मृत्यु से बचने का तरीका बताया था। उन्होंने कहा था कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शाम के समय दीप प्रज्वलित करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

यम का दीया जलाने का नियम

दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाने के बाद बाहर कहीं दूर रख दें। माना जाता है कि इससे सभी बुराइयां घर से बाहर चली जाती हैं। सरसों का तेल का दीपक जलाएं और पुराना दीया इस्तेमाल करें।

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नरक चतुर्दशी की पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi) :
– इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान किया जाता है। इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए, फिर अपामार्ग (औषधीय पौधा) को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाए।
– नरक चतुर्दशी से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी को एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है। नरक चतुदर्शी के दिन उस पानी को नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की परंपरा है। मान्यया है कि ऐसे स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है।
– स्नान के बाद यम की दिशा दक्षिण की तरफ हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें। ऐसा करने से पापों का नाश होता है।
– नरक चतुर्दशी पर यमराज के निमित्त तेल का दीपक भी जलाया जाता है। ये दीपक घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य घर के मुख्य द्वार के बाहर जलाता है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है।
– नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली के दिन शाम के समय भगवान का पूजन करने के बाद घर की चौखट पर दीये रख दें।
– नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
– इस त्योहार की अर्धरात्रि में घर के बेकार सामान को निकाल देना चाहिए। ऐसा करने से घर से दरिद्रता चली जाती है जिससे साफ घर में लक्ष्मी जी प्रवेश करती हैं।

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