चित्रकूट (बृज बिहारी पाण्डेय) : चित्रकूट जिले के इटवा डुन्डैला ग्राम पंचायत में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुली अवहेलना की जा रही है। यहां ग्राम प्रधान द्वारा बाल श्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो न केवल कानूनी दृष्टि से अपराध है, बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। इस दौरान एक बाल मजदूर को मौके पर काम करते हुए पाया गया, जो भारतीय कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और बाल श्रम की स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि किसी भी बच्चे को किसी भी रूप में काम पर नहीं रखा जा सकता, खासकर बाल श्रमिकों के रूप में। भारतीय संविधान के तहत बालकों के शोषण को अपराध माना गया है, और बाल मजदूरी को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। बावजूद इसके, ग्राम पंचायत इटवा डुन्डैला में बाल श्रमिकों को काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
ग्राम प्रधान की लापरवाही और अवहेलना
ग्राम पंचायत इटवा डुन्डैला के ग्राम प्रधान द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जानकारी के अनुसार, ग्राम प्रधान ने बिना किसी कानूनी अनुमति के बाल मजदूरों को काम करने के लिए लगा रखा है। यह सीधे तौर पर बाल श्रम अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। स्थानीय अधिकारियों की ओर से भी इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे यह मामला और भी गंभीर बनता जा रहा है।
बाल श्रमिक को काम करते हुए पाया गया
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक पत्रकार द्वारा इटवा डुन्डैला ग्राम पंचायत में एक बाल श्रमिक को काम करते हुए देखा गया। बाल श्रमिक एक निर्माण स्थल पर काम कर रहा था, जहां वह अन्य श्रमिकों के साथ मजदूरी कर रहा था। इस दौरान पत्रकार ने मामले की जांच की और स्थानीय प्रशासन से इस बारे में शिकायत की। जब इस बाल श्रमिक से पूछा गया, तो उसने बताया कि उसे रोज़ाना काम करने के बदले कुछ पैसे मिलते हैं।
कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता
बाल श्रम एक गंभीर अपराध है और इसके खिलाफ कानूनी प्रावधान बेहद सख्त हैं। भारतीय संविधान और विभिन्न श्रम कानूनों के तहत किसी भी बालक को शारीरिक रूप से हानि पहुंचाने वाले कार्यों में शामिल नहीं किया जा सकता। ग्राम पंचायत के प्रधान की ओर से बाल श्रमिकों का इस्तेमाल न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी गलत है। यह कार्रवाई बालकों के भविष्य को खतरे में डालने वाली है और उन्हें शिक्षा से वंचित कर रही है।
स्थानीय नागरिकों और संगठनों का मानना है कि इस मामले में स्थानीय प्रशासन को तुरंत सख्त कदम उठाने चाहिए और दोषी ग्राम प्रधान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों और ग्राम प्रधान को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए ताकि इस तरह के अपराधों को रोका जा सके।