इंटर कॉलेज में तथ्यों को छिपाकर फर्जी नियुक्ति की हुई थी शिकायत
आगरा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए जानी जाती है। मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति का संदेश प्रदेश में स्पष्ट है, लेकिन आगरा में इस नीति का पालन होता नहीं दिख रहा है।
रामस्वरूप सिंघल इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापिका पद पर नियुक्त अंजली सोलंकी के खिलाफ कमिश्नर रितु श्रीवास्तव को लिखित शिकायत सौंपी गई थी। शिकायतकर्ता पंकजदीप अग्रवाल ने आरोप लगाए थे कि अंजली सोलंकी ने अपनी नियुक्ति के लिए तथ्यों को छिपाया और इसमें विभागीय अधिकारियों से लेकर प्रबंध तंत्र एवं साक्षात्कार समिति की भूमिका संदिग्ध रही।
शिकायत दर्ज होने के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग से लेकर बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। अंजली सोलंकी के पति का दोनों विभागों में वर्चस्व होने के कारण शिकायत को दबाने के प्रयास तेज हो गए। पंकजदीप अग्रवाल ने बताया कि कमिश्नर को शिकायत सौंपने के बाद 25 मई को संयुक्त शिक्षा निदेशक आगरा मंडल को दस दिन में जांच कर आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, जांच की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी मामले की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है।अंजली सोलंकी ने फर्जी तरीके से नियुक्ति हासिल करने के लिए नियमों की अनदेखी की। बीटीसी का परीक्षा परिणाम जारी होने से पहले ही आवेदन कर दिया गया और 2017 में एक साथ एमए और बीएड की डिग्री हासिल कर ली, जो कि संदेहास्पद है। उसके शैक्षिक अभिलेखों की प्रमाणिकता भी नहीं जानी गई और अब तक लाखों रुपये का सरकारी वेतन गबन किया जा चुका है। शिक्षा विभाग में उसके पति के प्रभाव के कारण जांच में प्रगति नहीं हो पा रही है।
संयुक्त शिक्षा निदेशक ने जांच से जताई अनभिज्ञता
संयुक्त शिक्षा निदेशक आगरा मंडल ने शिकायत की जांच के बाबत अनभिज्ञता जताई। उनका कहना था कि उन्हें अभी शिकायत की कोई जानकारी नहीं है और पत्रांक संख्या के माध्यम से जानकारी की जाएगी। यह उल्लेखनीय है कि उन्हें 25 मई को ही कमिश्नर द्वारा लिखित रूप से जांच हेतु निर्देशित किया जा चुका था।