जैथरा में विवादित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण, सीएम योगी की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का हो रहा मखौल

Controversial Shopping Complex Construction in Jaithra Raises Concerns Over CM Yogi's 'Zero Tolerance' Policy

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जैथरा में "तेज गति" से उड़ता विवादित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स: विकास या कब्जे की कहानी?

नगर पंचायत जैथरा में विवादित भूखंड पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के विपरीत होता दिखाई दे रहा है। शिकायतकर्ता संजय, निवासी जखा, ने एसडीएम अलीगंज पर आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों की शिथिलता और अनदेखी से अवैध निर्माण कार्य जारी है। यह सीएम की भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के प्रति सख्त रुख का सीधा मजाक उड़ाने जैसा है।

जैथरा, एटा: नगर पंचायत जैथरा में विवादित भूखंड पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण हो रहा है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के खिलाफ नजर आ रहा है। शिकायतकर्ता संजय, निवासी जखा, ने आरोप लगाया है कि प्रशासनिक अधिकारियों की शिथिलता और अनदेखी के कारण यह अवैध निर्माण कार्य जारी है। इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने एसडीएम अलीगंज पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप

संजय ने आरोप लगाया कि विवादित भूखंड पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण पूरी तरह से अवैध है, और भूखंड के स्वामित्व को लेकर विवाद पहले से ही लंबित है। इसके बावजूद, नगर पंचायत प्रशासन ने न केवल निर्माण कार्य की अनुमति दी, बल्कि इसे अनदेखा भी किया। उन्होंने कहा कि एसडीएम अलीगंज जगमोहन गुप्ता और नगर पंचायत की मिलीभगत से यह निर्माण कार्य जारी है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त नीतियों का मजाक बना रहा है।

स्थानीय लोगों की नाराजगी

स्थानीय लोगों ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई है और कहा है कि मुख्यमंत्री ने अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई है, लेकिन इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता स्पष्ट रूप से उनकी नीति का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने मांग की है कि इस निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए और मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

उच्च अधिकारियों और न्यायालय का सहारा लेने की चेतावनी

संजय और अन्य स्थानीय लोग इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और चेतावनी दी है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो वे उच्च अधिकारियों और न्यायालय का सहारा लेंगे। यह मामला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाता है और मुख्यमंत्री की नीतियों की गंभीरता को भी कठघरे में खड़ा करता है।

अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह विवाद शासन की साख को भी प्रभावित कर सकता है और स्थानीय जनता के बीच प्रशासन के प्रति अविश्वास को बढ़ावा दे सकता है।

 

 

 

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