एटा (जैथरा) | नगर पंचायत जैथरा में शॉपिंग कॉम्पलेक्स के निर्माण को लेकर जारी विवाद अब और तूल पकड़ता जा रहा है। इस परियोजना से जुड़े अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी के आरोपों के बीच एक नागरिक ने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत नगर पंचायत से इस परियोजना के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। इस कार्रवाई से परियोजना की संपूर्ण प्रक्रिया और उसकी पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं।
नागरिकों और व्यापारियों में आक्रोश
नगर पंचायत जैथरा द्वारा 13 दुकानों के निर्माण का उद्देश्य छोटे व्यापारियों को व्यवसाय करने के लिए स्थान उपलब्ध कराना था। लेकिन इस योजना के शुरू होने के बाद से ही स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों में आक्रोश फैलता जा रहा है। उनका कहना है कि परियोजना में नियमों का उल्लंघन किया गया है और कई मुद्दों पर पारदर्शिता की कमी है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि न केवल निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि भूमि अधिग्रहण और टेंडर प्रक्रिया में भी अनियमितताएं हुई हैं। इसके अलावा, निर्माण की लागत और प्रक्रिया पर भी चिंता व्यक्त की जा रही है।
आरटीआई में मांगी गई जानकारी
सूचना का अधिकार (RTI) के तहत नागरिक ने नगर पंचायत से परियोजना से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी हैं, जिनमें:
- परियोजना के लिए स्वीकृत बजट और खर्च की गई राशि का पूरा विवरण – यह जानकारी आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परियोजना का बजट सही तरीके से खर्च हो रहा है।
- निर्माण कार्य के लिए जारी निविदा प्रक्रिया और चयनित ठेकेदार का नाम – यह सवाल उठाया जा रहा है कि ठेकेदार का चयन किस प्रक्रिया से हुआ और क्या वह पारदर्शी था।
- निर्माण स्थल की भूमि का स्वामित्व और इसके उपयोग की अनुमति – यह जानकारी इस बात को स्पष्ट करेगी कि भूमि के उपयोग में कोई कानूनी विवाद तो नहीं है।
- गुणवत्ता जांच और परियोजना की निगरानी प्रक्रिया का विवरण – यह भी पूछा गया है कि निर्माण के दौरान गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कौन सी प्रक्रिया अपनाई गई है।
- विवादों और शिकायतों का समाधान कैसे किया गया – यह भी महत्वपूर्ण है कि परियोजना के दौरान उठने वाली समस्याओं और शिकायतों को कैसे निपटाया गया है।
व्यापारियों की नाराजगी
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स निर्माण कार्य में गोलमाल और पारदर्शिता की कमी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। एक व्यापारी ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “यह परियोजना हमारे लिए थी, लेकिन अब यह सिर्फ राजनीति का मुद्दा बनकर रह गई है।”
व्यापारी यह भी महसूस कर रहे हैं कि यह परियोजना उनके हितों के खिलाफ जा रही है, और अब इसे लेकर उनकी निराशा और बढ़ गई है।
नगर पंचायत का जवाब ना देना एक चिंता का विषय
आरटीआई आवेदन के बाद भी नगर पंचायत ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। यह स्थिति नागरिकों में और अधिक संशय पैदा कर रही है। यदि सब कुछ सही है, तो प्रशासन को तुरंत जवाब देना चाहिए। इस चुप्पी को लेकर नागरिकों का कहना है कि यह गड़बड़ियों की ओर इशारा करती है।
जानकारों की राय
इस मुद्दे पर जानकारों का मानना है कि यह आरटीआई नगर पंचायत को जवाबदेह बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। अगर गड़बड़ियां सामने आती हैं, तो इस मामले में जांच और सुधार की मांग तेज हो सकती है। आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त की जाएगी कि क्या इस परियोजना में सचमुच कोई अनियमितताएं हुई हैं, और अगर ऐसा है तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आगे क्या होगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि आरटीआई से प्राप्त जानकारी से क्या खुलासा होता है और क्या यह विवाद सुलझ पाएगा या फिर और गहराएगा। अगर नगर पंचायत अपनी अनियमितताओं का सफाई नहीं दे पाई तो यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है।