आगरा। प्रसिद्ध चिकित्सक और समाजसेवी डॉ. आरएम मल्होत्रा का निधन हो गया। उनकी शवयात्रा 12 जनवरी को दोपहर 1 बजे सूरज विहार कॉलोनी, सिकंदरा स्थित उनके आवास से प्रारंभ होगी। शवयात्रा नालबंद स्थित मल्होत्रा नर्सिंग होम से होती हुई विद्युत शवदाह गृह के लिए प्रस्थान करेगी।
मानवतावादी और समाजसेवी डॉ. आरएम मल्होत्रा का योगदान
डॉ. आरएम मल्होत्रा को समाज में उनकी निस्वार्थ सेवा और चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकांश समय लोगों की भलाई और समाज के उत्थान में लगाया। उनके निधन से न केवल चिकित्सा क्षेत्र बल्कि समाज को भी एक अपूरणीय क्षति हुई है।
परिवार का इतिहास और शिक्षा
डॉ. आरएम मल्होत्रा के पूर्वज 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले ही भारत आकर बस गए थे। उनके पिता शिवनाथ मल्होत्रा (एसएन मल्होत्रा) ने पाकिस्तान के लाहौर विश्वविद्यालय से एमडी की डिग्री प्राप्त की थी। वे पाकिस्तान के पसिया डसका के निवासी थे और उन्होंने कई बार इंग्लैंड की यात्रा की।
डॉ. मल्होत्रा के पिता पहले शिमला के निकट जुब्बल आए और बाद में करौली (राजस्थान) के राजा के निमंत्रण पर वहां आकर बस गए। वे एक प्रसिद्ध विद्वान थे, जिनकी पुस्तकें और ज्ञान क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखते थे। उनके पिता ने कुष्ठ रोग पर एक किताब भी लिखी थी, और उन्हें किताबों में गहरी रुचि थी। वे किसी भी पुस्तक को एक बार पढ़ने के बाद उस किताब के पेज और उस पर लिखी जानकारी को पूरी तरह से याद कर सकते थे।
शिक्षा और चिकित्सा में योगदान
डॉ. आरएम मल्होत्रा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करौली जिले में प्राप्त की और 1951 में जयपुर स्थित सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने चिकित्सा में उच्च डिग्रियां प्राप्त कीं। चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा करने के लिए उन्होंने आगरा को चुना और यहां के लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
डॉ. मल्होत्रा ने अपनी निस्वार्थ सेवा से न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और मानवतावादी कार्यों में भी बड़ा योगदान दिया। उनके कार्य और आदर्श हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।
उनके निधन से चिकित्सा जगत और समाज को एक अपूरणीय क्षति हुई है।