एटा। रानी अवंतीबाई लोधी चिकित्सा महाविद्यालय पिछले काफी समय से अव्यवस्थाओं का शिकार हो चुका है। प्राचार्य रजनी पटेल की अनदेखी के कारण कॉलेज की प्रशासनिक व्यवस्थाएं दिन-ब-दिन खराब होती जा रही हैं। जनपद और आसपास के जिलों से आने वाले मरीजों को पर्चा बनवाने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है, और डॉक्टर से दवा लिखवाने के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता है।
जब एटा मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई थी, तब स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें सस्ता, सुगम और बेहतर इलाज मिलेगा। लेकिन महाविद्यालय की शुरुआत के 8 महीने बाद भी इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। एटा के अलावा कासगंज, मैनपुरी, हाथरस और फिरोजाबाद जनपदों से भी मरीज यहां पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें पर्चा बनवाने के लिए लगभग 2 घंटे की लंबी लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद डॉक्टर के पास जाने के लिए भी काफी समय लग जाता है।
मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, और पिछले कई महीनों से कॉलेज में कोई रेडियोलॉजिस्ट तैनात नहीं है। यहां तक कि मेडीको लीगल केस भी अलीगढ़ रेफर किए जा रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि इस मेडिकल कॉलेज में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जितनी भी सुविधाएं नहीं हैं।
अच्छे और योग्य चिकित्सक यहां काम करने के लिए तैयार नहीं होते, और यदि आ भी जाते हैं, तो जल्दी ही चले जाते हैं। किडनी, हार्ट और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। प्रदेश शासन भी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
हालांकि, पूर्व में एटा के दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने अव्यवस्थाओं को दूर करने और सुविधाओं को बढ़ाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
इस स्थिति के चलते मरीजों में नाराजगी और निराशा का माहौल बनता जा रहा है, और सवाल उठता है कि आखिर कब सुधरेंगी एटा मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएं?