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संभल की शाही जामा मस्जिद में मंदिर होने के प्रमाण मिले! सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पढ़ें

संभल की शाही जामा मस्जिद में मंदिर के प्रमाण, सर्वे रिपोर्ट ने बढ़ाया धार्मिक विवाद

BRAJESH KUMAR GAUTAM
4 Min Read
संभल की शाही जामा मस्जिद में मंदिर होने के प्रमाण मिले! सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पढ़ें

संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर एक बड़ी विवादित रिपोर्ट सामने आई है। हाल ही में संपन्न एक सर्वे में मस्जिद के भीतर मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। एडवोकेट कमीशन द्वारा की गई इस जांच के बाद पेश की गई रिपोर्ट में कई अहम खुलासे हुए हैं। बताया जा रहा है कि इस मस्जिद में मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं, और यह खुलासा धार्मिक विवादों को और बढ़ा सकता है।

सर्वे में क्या मिला?

सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर दो वट वृक्ष पाए गए हैं। विशेष रूप से हिंदू धर्म में वट वृक्ष की पूजा का महत्व होता है, और यह मंदिरों के भीतर आमतौर पर देखे जाते हैं। इसके अलावा, मस्जिद में एक कुंआ भी पाया गया है, जो अंदर और बाहर दोनों हिस्सों में फैला हुआ है। इसके बाहर वाले हिस्से को ढक दिया गया था, लेकिन इसकी स्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के अंदर 50 से अधिक फूल के निशान और कलाकृतियाँ पाई गईं, जो मंदिरों और धार्मिक स्थल से जुड़ी होती हैं। इसके अलावा, पुराने ढांचे को बदलने के भी सबूत मिले हैं और कुछ जगहों पर नए निर्माण के संकेत मिले हैं। मस्जिद के गुम्बद में भी ऐसा स्ट्रक्चर पाया गया है, जो पहले मंदिरों में इस्तेमाल होता था। इसके साथ ही एक झूमर को तार से लटका हुआ पाया गया, जिसका उपयोग मंदिरों में घंटी लटकाने के लिए किया जाता है।

विवाद का कारण क्या है?

यह सर्वे तब हुआ जब कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया कि जिस स्थान पर यह मस्जिद बनी है, वहां पहले हरिहर नाथ मंदिर था। 19 नवंबर 2024 को इस स्थल का पहला सर्वे हुआ था, और इसके बाद से ही मामला विवादित हो गया। दूसरे सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। इसके बाद से पुलिस का एक्शन जारी है, और इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है।

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नए निर्माण के सबूत:

सर्वे रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मस्जिद के अंदर पुराने निर्माण को छिपाने के लिए प्लास्टर और पेंट का इस्तेमाल किया गया था। मंदिर के शेप वाले स्ट्रक्चर पर पेंट कर दिया गया था, ताकि उस समय के धार्मिक प्रतीकों को छिपाया जा सके।

मसला और भी गंभीर क्यों है?

यह मामला धार्मिक भावना को उकसाने वाला है और इस मुद्दे पर धार्मिक समुदायों के बीच गंभीर मतभेद हो सकते हैं। मस्जिद के सर्वे में मिले इन प्रमाणों ने पहले से ही उभर रहे विवाद को और बढ़ा दिया है। खासतौर पर इस स्थान पर हिंसा की घटनाएँ पहले ही हो चुकी हैं, और अब इस रिपोर्ट के बाद विवाद और भी गहरा सकता है।

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आगे क्या होगा?

अब देखना यह है कि कोर्ट इस रिपोर्ट पर क्या कदम उठाता है और प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाता है। धार्मिक संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए सभी पक्षों को शांतिपूर्वक समाधान खोजने की आवश्यकता होगी, ताकि इलाके में फिर से कोई बड़ा विवाद या हिंसा न हो।

 

 

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