आगरा: प्रचंड गर्मी के दौरान होने वाली मौतों को रोकने के लिए आगरा में एक व्यापक हीट एक्शन प्लान लागू किया जा रहा है. गुजरात के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ को आगरा के अलावा प्रयागराज, झांसी और लखनऊ के लिए भी यह प्लान तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है. इंस्टीट्यूट का दावा है कि इस योजना के लागू होने से आगरा में गर्मी से होने वाली मौतों में कम से कम 30 प्रतिशत की कमी आएगी.
योजना की शुरुआत और साझेदार
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, गुजरात ने आगरा नगर निगम के साथ मिलकर इस योजना पर काम शुरू कर दिया है. हीट एक्शन प्लान के लिए आगरा के साथ-साथ लखनऊ, झांसी और प्रयागराज शहरों का भी चयन किया गया है.
कार्यशाला और योजना की जानकारी
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, गुजरात के हेड प्रोफेसर महावीर गोलेच्छा ने बुधवार को आगरा नगर निगम के कार्यकारिणी कक्ष में शहर के प्रमुख शिक्षण संस्थानों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की और योजना की जानकारी साझा की.
योजना की पृष्ठभूमि
प्रो. गोलेच्छा ने बताया कि 2016 में अहमदाबाद में हीट स्ट्रोक की वजह से मई और जून के महीनों में मृत्यु दर में तेज़ी से वृद्धि हुई थी, जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया था. इस बढ़ते खतरे को देखते हुए, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ को देश भर में हीट एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया था. इस वर्ष, उत्तर प्रदेश के चार शहरों – आगरा, प्रयागराज, झांसी और लखनऊ को इस योजना के तहत चुना गया है.
आगरा में उच्च तापमान
प्रोफेसर गोलेच्छा ने बताया कि सर्वेक्षण में पाया गया कि इस वर्ष आगरा में मई और जून के महीनों में 70 दिनों तक तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा, जिसके कारण कई बीमारियाँ फैलीं और मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई.
योजना के मुख्य अंश
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हीट स्ट्रोक का रेड अलर्ट: इंस्टीट्यूट ने आगरा नगर निगम के साथ मिलकर हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए एक योजना शुरू की है, जिसके तहत हीट स्ट्रोक की आशंका होने पर रेड अलर्ट जारी किया जाएगा.
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नोडल अधिकारी और जागरूकता अभियान: नगर निगम द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जो सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर लोगों को हीट स्ट्रोक के प्रति जागरूक करेंगे.
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स्कूलों में वाटर बेल: योजना का मुख्य फोकस स्कूलों पर है. स्कूलों के प्रबंधन को हर घंटे बाद वाटर बेल बजाने का निर्देश दिया गया है, ताकि बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीने के लिए प्रेरित किया जा सके. बच्चों को घर जाकर अपने परिवार के सदस्यों को भी इस बारे में जागरूक करने के लिए कहा गया है. स्कूलों का समय भी सुबह का ही रखने का सुझाव दिया गया है.
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बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए उपाय: बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नमक मिला हुआ पानी या ओआरएस का घोल देने की सलाह दी गई है.
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ग्रीन कवर: इमारतों को ग्रीन कवर में रखने और प्रमुख चौराहों की रेड लाइट पर भी ग्रीन कवर लगाने का सुझाव दिया गया है.
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कूलिंग सेंटर: शहर के प्रमुख चौराहों, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर कूलिंग सेंटर बनाए जाएंगे, जहाँ टेंट लगाकर कूलर और पंखे लगाए जाएंगे और ओआरएस का घोल भी उपलब्ध कराया जाएगा.
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घरों की छतों पर सफेद पेंट: मलिन बस्तियों में रहने वालों को अपने घरों की छतों पर सफेद पेंट करने की सलाह दी गई है, जिससे घरों के तापमान में 5 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है.
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फैक्ट्रियों में ब्रेक: रेड अलर्ट के दौरान फैक्ट्रियों में दोपहर 1:00 बजे से 4:00 बजे तक ब्रेक रखने का सुझाव दिया गया है.
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जागरूकता अभियान: रेड अलर्ट के दौरान शहर भर में पोस्टर, बैनर लगाए जाएंगे, नगर निगम की गाड़ियों से अनाउंसमेंट कराया जाएगा और ट्रैफिक रेड लाइटों पर भी स्पीकरों से लोगों को सावधान रहने की चेतावनी दी जाएगी.
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हरियाली बढ़ाना: प्रो. गोलेच्छा ने हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए हरियाली बढ़ाने पर भी जोर दिया और मियावाकी पद्धति से पौधे लगाने का सुझाव दिया.
बैठक में उपस्थित लोग
इस मौके पर अपर नगर आयुक्त सुरेंद्र कुमार यादव, स्वच्छता अभियान के समन्वयक बलजीत सिंह, बाग फरजाना के पार्षद शरद चौहान, लीडर्स आगरा के महामंत्री सुनील जैन, नगर निगम की ब्रांड एंबेसेडर अंजू कुमारी सहित सभी प्रमुख स्कूलों के प्रतिनिधि मौजूद रहे.