आगरा। न्याय का मंदिर कहे जाने वाले दीवानी कोर्ट में आज एक अहम और ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान और उनकी टीम ने अपने परिश्रम और सत्यता के आधार पर एक फर्जी मोबाइल लूट मामले में फंसे मुल्जिमों को दोषमुक्त करवा दिया। इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय संख्या 11 ने निर्णय दिया, जिसमें उन्होंने न्याय की सच्चाई को स्वीकारते हुए निर्दोष मुल्जिमों को मुक्त कर दिया।
फर्जी मुकदमे में निर्दोषों को न्याय मिला
यह घटना उस समय की है जब वर्ष 2014 में थाना हरी पर्वत में एक फर्जी मोबाइल लूट का मामला दर्ज किया गया था। मामले में नवाब दुर्रानी और शादाब के खिलाफ धारा 392 (लूट), धारा 411 (चोरी का सामान रखने) के तहत अपराध संख्या 352/2014 में आरोप लगाए गए थे। आरोप था कि इन दोनों मुल्जिमों ने एक मोबाइल लूटने की घटना को अंजाम दिया था।
इस मामले में पीड़ितों ने वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान से संपर्क किया और अपनी निर्दोषता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस फर्जी मुकदमे में फंसाया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान, एन एम ख़ान, महमूदुल हसन, साकिर ख़ान, मुन्तजिर ख़ान और शारिक पठान ने इन पीड़ितों की आवाज़ को सुना और बारीकी से इस केस की पैरवी की।
सत्यता को अपनाया गया, दोषमुक्त हुए मुल्जिम
वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान का कहना है कि न्यायालय से न्याय पाने के लिए कभी-कभी लंबा समय लगता है, लेकिन जो सच होता है, वह हमेशा सामने आता है। इस मुकदमे में भी अदालत ने सभी तथ्यों की गहन जांच की और फर्जी आरोपों से निर्दोष मुल्जिमों को दोषमुक्त किया।
न्यायालय ने दोषमुक्त किया मुल्जिमों को
माननीय न्यायालय द्वारा नवाब दुर्रानी और शादाब को निर्दोष करार देते हुए उन्हें दोषमुक्त किया गया। यह निर्णय न्याय के पक्ष में एक सच्चाई की मिसाल पेश करता है और इसने न्याय के मंदिर को फिर से मजबूती से खड़ा किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान की सराहना
इस फैसले के बाद, पीड़ितों और उनके परिवारों ने वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान और उनकी टीम की कड़ी मेहनत की सराहना की। पीड़ितों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और संघर्ष के कारण आज उन्हें न्याय मिला है।
वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान ने इस मौके पर कहा, “सत्यता हमेशा असत्य पर भारी पड़ती है। हमारी टीम ने इस मुकदमे में बहुत मेहनत की और कई तारीखों पर जिरह करते हुए अंत में एक सच्चाई को सामने रखा। यह हमारा कर्तव्य था और हमें खुशी है कि न्यायालय ने हमें सही साबित किया।”
अधिवक्ता रिंकू पठान के योगदान को सराहा गया
इस सफल पैरवी के बाद, जनसाधारण से लेकर अधिवक्ता समुदाय तक ने रिंकू पठान की सराहना की। दीवानी कोर्ट परिसर में मस्जिद के पास स्थित उनके ऑफिस में यह नजारा देखा गया, जहां उनके सहयोगियों और शुभचिंतकों ने उन्हें बधाई दी और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
न्याय और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता
वरिष्ठ अधिवक्ता रिंकू पठान का कहना है कि यह जीत सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि समस्त उन निर्दोषों की जीत है, जिनके खिलाफ झूठे मुकदमे दायर होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालय में न्याय का पालन करना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, और इस जीत से यह साबित हो गया है कि सत्य कभी भी असत्य से पराजित नहीं हो सकता।