आगरा: चैक डिसऑनर के एक अहम मामले में विशेष न्यायालय एनआई एक्ट के पीठासीन अधिकारी सतेंद्र सिंह वीरवां ने आरोपी मुकेश कुमार को दोषी ठहराया है और उसे 6 माह की कैद और 7,56,400 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला चैक के डिसऑनर के मामले में सुनाया गया, जिसमें आरोपी ने अपने दावे के अनुसार धन की अदायगी के लिए चैक जारी किया था, लेकिन वह चैक बैंक में प्रस्तुत करने पर अस्वीकार हो गया था।
मेसर्स आर. एस. शीत ग्रह प्राइवेट लिमिटेड के पार्टनर विनोद कुमार उपाध्याय ने अपने अधिवक्ता धर्मेंद्र सिंह जुरैल के माध्यम से अदालत में मुकदमा दायर किया था। आरोप था कि आरोपी मुकेश कुमार ने वादी की फर्म से आलू की खरीद फरोख्त की थी। आरोप के अनुसार, मुकेश कुमार ने कुल 17,68,956 रुपये का आलू खरीदा था, जिसमें से 11,12,000 रुपये का भुगतान किया और बाकी की राशि का भुगतान चैक के माध्यम से किया।
चैक को बैंक में प्रस्तुत किया गया, लेकिन चैक डिसऑनर हो गया यानी वह अस्वीकार हो गया। इसके बाद वादी ने आरोपी के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया।
अदालत का निर्णय
अदालत में वादी के अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया और आरोपी मुकेश कुमार को दोषी ठहराया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ सभी आरोप सही पाए गए और इसके आधार पर उसे दोषी करार देते हुए 6 महीने की कैद और 7,56,400 रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला चैक डिसऑनर के तहत धारा 138 के अंतर्गत आता है, जिसमें आरोपी को दंडित किया गया है।