जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 मई 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर मिले जिंदा बम से जुड़े मामले में अदालत ने चार आरोपियों शाहबाज हुसैन, सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ और सैफुर्रहमान को दोषी करार दिया है। यह फैसला पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए बड़ी राहत का कारण माना जा रहा है। सजा के बिंदु पर सोमवार को बहस होगी, और सजा का ऐलान मंगलवार को किया जाएगा।
13 मई 2008: एक काला दिन
13 मई 2008 को जयपुर में सिलसिलेवार 8 बम धमाके हुए थे, जिनमें 71 लोगों की जान चली गई थी और 180 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। धमाके शाम 7:20 बजे से 7:45 बजे के बीच लगभग 15 मिनट के अंतराल में हुए थे। इन बम धमाकों ने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया था। धमाकों के दौरान चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर एक जिंदा बम भी पाया गया था, जिसे समय रहते निष्क्रिय कर दिया गया था।
आतंकी संगठन का दावा और जांच की दिशा
इस आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन नामक आतंकी संगठन ने ली थी। जांच के दौरान एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) ने बताया कि 2008 में 12 आतंकी दिल्ली से बस से बम लेकर जयपुर आए थे। इन आतंकियों ने जयपुर में 9 साइकिलें खरीदीं और इन साइकिलों में बम फिट कर दिए। बमों को टाइम सेट कर विभिन्न जगहों पर खड़ा कर दिया गया था। बाद में आतंकी शताब्दी एक्सप्रेस से दिल्ली वापस लौट गए थे।
इन बमों में से 8 तो 15 मिनट के अंदर फट गए थे, लेकिन एक बम चांदपोल के पास स्थित एक गेस्ट हाउस के पास रखा गया था, जिसका फटने का समय बाकी बमों से डेढ़ घंटे बाद का था। हालांकि, बम डिफ्यूजन स्क्वाड ने इसे फटने के टाइम से कुछ मिनट पहले निष्क्रिय कर दिया था। इस प्रकार, एक बड़ी तबाही होने से बच गई।
कोर्ट का फैसला: दोषी करार चार आरोपी
विशेष अदालत ने इस जघन्य घटना में चार आरोपियों को दोषी करार दिया है। शाहबाज हुसैन, सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ और सैफुर्रहमान पर यह आरोप था कि उन्होंने इन बम धमाकों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब अदालत ने इन चारों को दोषी करार दिया है और सजा के बिंदु पर सोमवार को बहस की जाएगी। सजा का ऐलान मंगलवार को किया जाएगा।
पुलिस और अदालत की कार्रवाई
इस मामले में पुलिस और जांच एजेंसियों ने निरंतर कड़ी मेहनत की और बम धमाकों से जुड़े आतंकियों को पकड़ने में सफलता प्राप्त की। यह फैसला पीड़ितों के परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 2008 के धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और अब अदालत का फैसला आतंकवाद के खिलाफ एक कड़ा संदेश भेजेगा।