नई दिल्ली: महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन सोमवार से शुरू हो चुका है, और यह मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है। संगम तट पर इस समय 4 मिलियन से अधिक श्रद्धालु ‘पवित्र डुबकी’ लगा रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से आत्मा की शुद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हालांकि, एक और दिलचस्प संयोग भी है जो हर बार इस मेले के साथ देखने को मिलता है – वह है भारतीय शेयर बाजार की गिरावट। पिछले 20 वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि कुंभ मेले के दौरान भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी रहा है।
कुंभ मेले के दौरान सेंसेक्स में गिरावट का इतिहास
सैमको सिक्योरिटीज द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि कुंभ मेले के दौरान भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन हमेशा नेगेटिव ही रहा है। 2004 से लेकर अब तक, कुंभ मेला के दौरान बीएसई के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ने गिरावट ही दर्ज की है। यह अध्ययन पिछले 20 वर्षों का है, जिसमें छह बार कुंभ मेला हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इन छह अवसरों पर सेंसेक्स में औसतन 3.4% की गिरावट आई है।
कुंभ मेले के दौरान सेंसेक्स में हुई गिरावट का आंकड़ा
यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि पिछले वर्षों में कुंभ मेले के दौरान सेंसेक्स ने कितना नुकसान उठाया:
- 2004 कुंभ मेला (05 अप्रैल – 04 मई): सेंसेक्स में 3.3% गिरावट
- 2010 कुंभ मेला (14 जनवरी – 28 अप्रैल): सेंसेक्स में 1.2% गिरावट
- 2013 कुंभ मेला (14 जनवरी – 11 मार्च): सेंसेक्स में 1.3% गिरावट
- 2015 कुंभ मेला (14 जुलाई – 28 सितंबर): सेंसेक्स में 8.3% की सबसे बड़ी गिरावट
- 2016 कुंभ मेला (22 अप्रैल – 23 मई): सेंसेक्स में 2.4% गिरावट
- 2021 कुंभ मेला (01 अप्रैल – 19 अप्रैल): सेंसेक्स में 4.2% गिरावट
इससे स्पष्ट होता है कि हर कुंभ मेला सेंसेक्स के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय रहा है, और इसका प्रदर्शन हमेशा नकारात्मक रहा है।
कुंभ मेले के बाद सेंसेक्स का प्रदर्शन
हालांकि, कुंभ मेले के बाद सेंसेक्स में सुधार भी देखने को मिला है। सैमको सिक्योरिटीज के प्रमुख अपूर्व शेठ के अनुसार, कुंभ मेले के बाद छह महीनों में सेंसेक्स ने 5 में से 6 बार पॉजिटिव रिटर्न दिया है। औसतन, कुंभ मेले के बाद सेंसेक्स में 8% की वृद्धि देखी गई है।
2021 के कुंभ मेले के बाद सेंसेक्स में सबसे बड़ी रैली देखी गई थी, जब सेंसेक्स में लगभग 29% की वृद्धि हुई थी। वहीं, 2010 के कुंभ मेले के बाद सेंसेक्स में 16.8% की शानदार बढ़त देखी गई थी। हालांकि, 2015 में सेंसेक्स ने 2.5% का नेगेटिव रिटर्न भी दिया था।
कुंभ मेले के दौरान गिरावट के संभावित कारण
ऐतिहासिक डेटा से यह साफ हो जाता है कि कुंभ मेले के दौरान सेंसेक्स में गिरावट आम बात है। लेकिन इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि कुंभ मेले के दौरान निवेशक सतर्क हो जाते हैं। इस समय बाजार में अनिश्चितता बढ़ जाती है और निवेशक जोखिम से बचने के लिए कम सक्रिय रहते हैं।
इसके अलावा, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कुंभ मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, और इसका सीधा असर शेयर बाजार पर भी पड़ता है। इस समय के दौरान शेयर बाजार में कम वोल्यूम (कम ट्रेडिंग वॉल्यूम) देखा जाता है, जिससे बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव होते हैं।
आखिरकार क्या होगा सेंसेक्स का हाल?
अगर सोमवार को सेंसेक्स की गिरावट की बात करें तो यह 800 अंकों से ज्यादा गिर चुका था, और वर्तमान में सेंसेक्स 76,677.06 अंकों पर कारोबार कर रहा है। यदि पिछले 20 वर्षों के आंकड़ों को देखें, तो संभावना है कि इस बार भी कुंभ मेले के दौरान सेंसेक्स में और गिरावट हो सकती है।
हालांकि, कुछ महीने बाद सेंसेक्स में सुधार भी हो सकता है, जैसा कि पिछले सालों में हुआ था।
कुंभ मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का आयोजन है, और इस दौरान शेयर बाजार में गिरावट का एक अजीब संयोग देखने को मिलता है। हालांकि, इतिहास से यह स्पष्ट होता है कि कुंभ मेले के बाद शेयर बाजार में सुधार भी आता है। निवेशकों के लिए यह एक समय होता है जब उन्हें सतर्क रहना चाहिए और बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए अपनी निवेश रणनीतियों पर ध्यान देना चाहिए।