जैथरा के गांवों में लाखों खर्च कर बनाए गए प्लास्टिक बैंक बेकार, योजनाओं पर उठ रहे सवाल

Pradeep Yadav
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प्लास्टिक बैंक बेकार, योजनाओं पर उठ रहे सवाल
जैथरा के गांवों में लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए प्लास्टिक बैंक बेकार पड़े हैं। योजना का उद्देश्य था कचरे का वैज्ञानिक निपटान, लेकिन लापरवाही के कारण ये बैंक प्रभावी नहीं हो पाए।
जैथरा (एटा): विकास खंड जैथरा के गांवों में स्वच्छता अभियान और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से लाखों रुपये खर्च कर प्लास्टिक बैंक बनाए गए थे। लेकिन आज ये बैंक केवल दिखावटी बनकर रह गए हैं। प्लास्टिक कचरे के संग्रहण और निपटान के लिए बनाई गई इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य कचरे को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करना था, लेकिन अधिकारियों और ग्रामीणों की लापरवाही के कारण ये बैंक पूरी तरह बेकार पड़े हुए हैं।

योजना का उद्देश्य और असफलता

इन प्लास्टिक बैंकों का उद्देश्य था ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना। योजना के तहत हर गांव में एक स्थान पर प्लास्टिक कचरे को जमा करने के लिए ये बैंक बनाए गए थे। लेकिन वर्तमान में इन बैंकों में न तो कचरा जमा हो रहा है और न ही इनके रखरखाव की कोई व्यवस्था की जा रही है। कई जगहों पर ये बैंक कचरे से भरे हुए हैं और कुछ बैंकों का इस्तेमाल अन्य निजी कार्यों के लिए किया जा रहा है।

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लाखों रुपये का बजट हुआ बर्बाद

इस योजना को लागू करने के लिए लाखों रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था, लेकिन इसकी वास्तविकता कुछ और ही नजर आ रही है। ठेकेदारों और अधिकारियों ने इस योजना को तेजी से पूरा करने का दावा किया, लेकिन योजना की पूरी प्रक्रिया के बाद इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने इस योजना के बारे में सही तरीके से जानकारी नहीं दी, जिससे लोग इसका सही तरीके से उपयोग नहीं कर सके।

गांवों में स्थिति

  • खाली पड़े प्लास्टिक बैंक: कई गांवों में ये बैंक केवल शोपीस बनकर रह गए हैं।
  • कचरा इधर-उधर फैला: प्लास्टिक कचरे का न तो संग्रह हो रहा है और न ही इसका उचित निपटान हो पा रहा है।
  • रखरखाव की कमी: प्लास्टिक बैंक देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।
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ग्रामीणों की नाराजगी

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने इस योजना के लिए बड़ी रकम खर्च की, लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिल रहा है। प्रशासन की लापरवाही और जागरूकता की कमी के कारण ये बैंकों बेकार पड़े हैं। ग्रामीणों ने अधिकारियों से इन बैंकों को फिर से उपयोगी बनाने और कचरा प्रबंधन पर ध्यान देने की मांग की है।

प्लास्टिक बैंकों की मरम्मत-सही उपयोग के लिए उठाए जाएंगे कदम

जब इस मुद्दे पर संबंधित अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही प्लास्टिक बैंकों की मरम्मत और उनके सही उपयोग के लिए कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, सवाल यह है कि यदि यह योजना सही तरीके से लागू की जाती, तो आज ये स्थिति क्यों उत्पन्न होती?

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