राजस्थान: पढ़ाई के साथ बागवानी, कमा रहे ढाई करोड़ रुपये, कम लागत में अधिक मुनाफा

युवाओं की मेहनत और बागवानी की सफलता की कहानी, बेर से ढाई करोड़ की कमाई!

6 Min Read

राजस्थान के भरतपुर जिले के चिकसाना गांव में युवा किसानों की एक नई जोड़ी दिखाई दे रही है, जो पढ़ाई के साथ साथ कृषि में भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन युवा किसानों ने बागवानी में अपनी मेहनत और स्मार्ट तरीकों से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। यह कहानी एक प्रेरणा बन चुकी है, जहां युवा बेर की बागवानी के जरिए ना केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी कृषि में सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

बेर की बागवानी से बढ़ रही किसानों की आमदनी

चिकसाना गांव में 40% युवा किसान अपनी पढ़ाई के साथ बेर की बागवानी कर रहे हैं और उनकी यह बागवानी अब न सिर्फ उनके परिवार का खर्चा उठा रही है, बल्कि वे लाखों रुपए भी कमा रहे हैं। बेर एक पौष्टिक फल है, जो सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है और इसके विभिन्न औषधीय गुणों के कारण यह कई बीमारियों में लाभकारी है। यहां के किसान हर साल अपने बेर के उत्पादन से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं।

गांव में करीब 60% लोग बेर की बागवानी करते हैं और इनमें से अधिकतर युवा किसान हैं, जो इसकी सफलता से प्रेरित होकर इसे अपनी आय का प्रमुख स्रोत बना चुके हैं। बेर की बागवानी की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देती है, जिससे यह गांव के किसानों के लिए एक आर्थिक सौगात बन चुकी है।

युवा किसान बलदेव सिंह की कहानी

युवा किसान बलदेव सिंह ने बताया कि सन 1995 में उनके गांव में बेर की बागवानी की शुरुआत हुई थी। तब से लेकर अब तक यह बागवानी गांव में मुख्य फसल बन चुकी है। बलदेव सिंह ने खुद 20 बीघा भूमि में बेर की बागवानी की है, जिससे वह कम लागत में दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं। बलदेव ने बताया, “हमारे गांव में अधिकतर युवा बेर की बागवानी में जुड़ गए हैं और यह उनके लिए काफी लाभकारी साबित हो रहा है। मैं खुद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा हूं और बागवानी भी करता हूं।”

सोनवीर सिंह चौधरी की बागवानी

सोनवीर सिंह चौधरी ने 2000 में अपने परिवार के साथ 24 बीघा भूमि में बेर की बागवानी की शुरुआत की थी। उनका कहना है, “हमारे यहां सेब बेर होता है। एक बार पेड़ लगाने पर तीन साल बाद यह फल देना शुरू कर देता है। इसके बाद हर साल नवंबर में फल आने शुरू होते हैं और जनवरी में ये पककर तैयार हो जाते हैं, जो मार्च तक चलते हैं।”

सोनवीर ने बताया कि एक बीघा भूमि में 40 बेर के पेड़ होते हैं, और एक पेड़ से 50 किलो से अधिक बेर की पैदावार होती है। बाजार में बेर का भाव 25 से 30 रुपए किलो रहता है, जिससे एक बीघा भूमि से लाखों रुपए की आमदनी होती है।

पूरे गांव का सामूहिक मुनाफा

चिकसाना गांव में करीब 600 बीघा भूमि में बेर की बागवानी की जा रही है, जिससे किसानों को सालाना ढाई करोड़ रुपए की आमदनी हो रही है। यह एक उल्लेखनीय आंकड़ा है, जो यह साबित करता है कि बेर की बागवानी के माध्यम से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।

गांव के किसान अब यह समझ चुके हैं कि पारंपरिक खेती के साथ बागवानी भी करनी चाहिए, जिससे कृषि में स्थिरता और मुनाफा सुनिश्चित हो सके। किसान इस बागवानी से न केवल अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि पूरे गांव की आर्थिक स्थिति भी सशक्त हो रही है।

आगरा की मंडी से देशभर में जाती है बेर

गांव के किसान बेर को आगरा की मंडी में भेजते हैं, जहां से यह बेर देश के विभिन्न राज्यों में सप्लाई किया जाता है। इससे बेर की मांग भी बढ़ी है और किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है। बेर की इस आपूर्ति से न केवल गांव के किसानों का मुनाफा बढ़ रहा है, बल्कि यह गांव के लिए एक आर्थिक स्रोत भी बन चुका है।

चिकसाना गांव में बेर की बागवानी के साथ पढ़ाई कर रहे युवा किसानों की सफलता की यह कहानी, न सिर्फ अन्य युवाओं को प्रेरित कर रही है, बल्कि यह दर्शाती है कि किस प्रकार कृषि में नए प्रयोगों और सही दिशा में काम करके अच्छे परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। यदि अन्य किसान भी इस दिशा में कदम बढ़ाएं, तो वे भी कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और कृषि क्षेत्र में नवाचार ला सकते हैं।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version