रामपुर (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के बिलासपुर तहसील के पजावा गांव के प्राथमिक स्कूल में रसोईया के रूप में काम करने वाली 65 साल की फूलवती को 57 साल बाद आखिरकार अपना खोया हुआ परिवार मिल ही गया। यह अद्भुत कहानी स्कूल की प्रिंसिपल डॉक्टर पूजा रानी की मेहनत और समर्पण का परिणाम है, जिन्होंने फूलवती से उसकी दुख भरी दास्तान सुनी और फिर उसे उसके परिवार से मिलाने का संकल्प लिया।
फूलवती की दर्दनाक कहानी
फूलवती ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि वह मूल रूप से आजमगढ़ की रहने वाली थीं। जब वह महज 8 साल की थीं, तो एक मेले में खो गईं और फिर किसी ने उन्हें गोद ले लिया। उस व्यक्ति ने ही उन्हें पाला और उनकी शादी भी करवाई। फूलवती ने बताया, “मेरे गांव का नाम छुटीदार था, जहां से मेरी खोज शुरू हुई। अब 57 साल बाद मेरा पूरा परिवार मिल गया है। एक महीने पहले मैं आजमगढ़ गई थी और वहां परिवार से मिलकर बहुत अच्छा महसूस हुआ। यह बहुत ही भावुक क्षण था।”
स्कूल की प्रिंसिपल की मेहनत
फूलवती की मदद करने वाली स्कूल की प्रिंसिपल डॉक्टर पूजा रानी ने बताया, “मैं 2016 में यहां आई थी और फूलवती से मुलाकात की थी। कुछ दिन पहले ही हमें उनके बारे में पता चला कि वह कभी छुट्टियों पर नहीं जाती थीं और हमेशा अकेली रहती थीं। जब उन्होंने बताया कि वह 8 साल की उम्र में मेले में खो गई थीं, तो मुझे बहुत दुख हुआ और मैंने ठान लिया कि उन्हें उनके परिवार से मिलाना है।”
पारिवारिक खोज की कठिन यात्रा
डॉक्टर पूजा रानी ने बताया कि उन्होंने फूलवती से उसके गांव का नाम और कुछ अन्य जानकारी प्राप्त की, जैसे कि उनका मां का नाम और उनका स्कूल, जो छोटे से मंदिर के पास था। इस जानकारी के आधार पर उन्होंने आजमगढ़ के संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया और अंततः फूलवती के परिवार का पता लगा लिया। “यह बिल्कुल फिल्मी कहानी की तरह था,” डॉक्टर रानी ने कहा। उन्होंने आगे बताया कि जब फूलवती का परिवार उन्हें मिल गया तो यह एक भावुक क्षण था, जो हम सभी के लिए बेहद खास था।
फूलवती का परिवार और भावुक मिलन
फूलवती को उसके परिवार से मिलने के बाद वह बेहद खुश थीं। उन्होंने बताया कि जब वह आजमगढ़ अपने घर गईं और परिवार से मिलीं, तो उन्हें बहुत अच्छा लगा। उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने उनका स्वागत किया और खुशी का इजहार करते हुए केक भी काटा। इसके बाद, फूलवती के भाई ने उन्हें वापस स्कूल में छोड़ने के लिए आए और स्कूल प्रशासन का धन्यवाद किया।
ग्राम पजावा के प्रधान पुत्र सिपते हसन ने भी इस पूरी घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “फूलवती कई सालों से हमारे स्कूल में रसोईया के रूप में काम कर रही थीं। एक दिन उन्होंने हमें अपनी खो जाने की कहानी सुनाई, और हमारी प्रिंसिपल ने काफी मेहनत से उनका परिवार ढूंढ निकाला। यह एक प्रेरणादायक कहानी है।”