Advertisement

Advertisements

Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता का इतिहास रचने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

Honey Chahar
5 Min Read

उत्तराखंड विधानसभा ने 7 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने यूसीसी लागू किया है।

यूसीसी एक ऐसा कानून है जो सभी नागरिकों के लिए समान व्यक्तिगत कानूनों का प्रावधान करता है, चाहे उनकी जाति, धर्म या लिंग कुछ भी हो। यह कानून विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और अन्य व्यक्तिगत मामलों से संबंधित है।

यूसीसी के समर्थकों का कहना है कि यह कानून लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा, सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करेगा और देश में एकता और भाईचारा स्थापित करेगा। वे यह भी तर्क देते हैं कि यह कानून धार्मिक कट्टरपंथ को कम करेगा और महिलाओं को सशक्त बनाएगा।

यूसीसी के विरोधियों का कहना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और यह देश की विविधता को कमजोर करेगा। वे यह भी तर्क देते हैं कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष रूप से हानिकारक होगा।

See also  एटा के शीतलपुर गांव में गहराया पेयजल संकट: जर्जर हैंडपंप और 'कागजी' मरम्मत पर उठे भ्रष्टाचार के सवाल

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यूसीसी एक जटिल मुद्दा है और इसके कई पहलू हैं। यह आवश्यक है कि इस मुद्दे पर सभी पक्षों की राय को ध्यान से सुना जाए और एक ऐसा कानून बनाया जाए जो सभी के लिए न्यायपूर्ण हो।

यूसीसी के पारित होने के बाद, यह देखना बाकी है कि यह कानून व्यवहार में कैसे काम करता है। यह भी देखना बाकी है कि अन्य राज्य इस कानून को लागू करने के लिए प्रेरित होते हैं या नहीं।

जाति, धर्म व पंथ के रीति-रिवाजों से छेड़छाड़ नहीं

विधेयक में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें जाति, धर्म अथवा पंथ की परंपराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे। खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य

  • विधेयक में 26 मार्च वर्ष 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ग्राम पंचायत, नगर
  • पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण का प्रावधान।
  • पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड का प्रावधान।
  • पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
  • विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष तय की गई है।
  • महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
  • हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया गया है। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
  • कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
  • एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
  • पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
See also  राहुल गांधी के विजन को आगे बढ़ाते हुए एटा में युवा कांग्रेस सक्रिय; कांग्रेस ने एटा के युवाओं को सौंपी नई जिम्मेदारी

संपत्ति में बराबरी का अधिकार

  • संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
  • जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
  • गोद लिए, सरगोसी के द्वारा असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
  • कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।

लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना अनिवार्य

  • लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
  • लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
  • लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  •  अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।
See also  मिस यूनिवर्स ग्रेट ब्रिटेन ने भारत में हाथी संरक्षण केंद्र का किया दौरा, बढ़ाई जागरूकता

गोद लेने का कोई कानून नहीं

समान नागरिक संहिता में गोद लेने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है।

Advertisements

See also  झांसी: एमपी मंत्री विजय शाह के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री
TAGGED:
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement