पीड़िता ने एसएसपी ऑफिस में क्या कहा?
पीड़िता ने अपने परिजनों के साथ एसएसपी ऑफिस पहुंचकर अधिकारियों से आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि एसएचओ मनोज कुमार, जो वर्तमान में सिविल लाइंस थाने में तैनात हैं, विधायक हरीश शाक्य के करीबी हैं और इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। पीड़िता का कहना है कि पहले उझानी थाने में थानाध्यक्ष के रूप में तैनात रहे मनोज कुमार ने भी उनके परिवार पर विधायक के दबाव में आकर हत्या का फर्जी मुकदमा दर्ज किया था।
गैंगरेप और संपत्ति हड़पने के गंभीर आरोप
पीड़िता ने बताया कि आरोपी गैंगरेप और संपत्ति हड़पने के मामले में खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस द्वारा उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी जा रही है। पीड़िता ने इस पूरे मामले को विधायक और उनके भाई के खिलाफ एक साजिश बताया है। आरोप है कि विधायक हरीश शाक्य ने पीड़िता के परिवार को संपत्ति के लिए परेशान किया और गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया।
कोर्ट में दी गई प्रार्थना पत्र और पुलिस की कार्रवाई
पीड़िता द्वारा दी गई प्रार्थना पत्र के आधार पर 21 दिसंबर को सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मुकदमे में हरीश शाक्य और उनके भाई समेत 16 लोगों के नाम हैं। कोर्ट के आदेश पर यह मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन पीड़िता का कहना है कि पुलिस जांच में आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है और आरोपियों को खुलेआम घूमने दिया जा रहा है।
पुलिस और आरोपियों के बीच रिश्ते का आरोप
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि एसएचओ मनोज कुमार और विधायक हरीश शाक्य के बीच करीबी रिश्ते हैं, जिससे वह इस मामले की विवेचना में निष्पक्षता से काम नहीं कर रहे हैं। विधायक के दबाव में पुलिस द्वारा मामले की जांच को लटकाए रखा जा रहा है, और आरोपी अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
पीड़िता की गिरफ्तारी की मांग
पीड़िता ने एसएसपी कार्यालय में गिरफ्तारी की मांग करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की जाती है, तो वह न्याय के लिए सड़क पर भी उतरने को तैयार हैं। पीड़िता का कहना है कि उसे और उसके परिवार को विधायक हरीश शाक्य और उनके समर्थकों द्वारा लगातार धमकियां दी जा रही हैं, और पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
मामला न्यायालय में प्रलंबित
इस मामले की जांच जारी है, लेकिन पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। पीड़िता का कहना है कि वह कोर्ट के आदेश पर पुलिस से न्याय की उम्मीद करती हैं, लेकिन पुलिस का रवैया मामले को हल्के में लेने जैसा है। इस बीच, पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस उसे और उसके परिवार को फर्जी मामलों में फंसा सकती है।