विभाग के एक बाबू पर मेहरबानी से अफसरों पर उठ रहीं उंगलियां
एटा। विपणन विभाग के अफसरों की मनमानी जारी है। पहले नियम विरुद्ध ढंग से बाबू को उपज खरीद की जिम्मेदारी सौंप दी। जब वह बाबू गोलमाल में फंसा, तो उसे हटाने की जगह दो क्रय केंद्रों का प्रभारी बना दिया। विभागीय अफसरों की मेहरबानी नहीं रुकी। बाबू ने जिस स्थान पर गोलमाल किया, उसी स्थान के साथ-साथ नजदीकी दूसरे ब्लाक पर खरीद की पुनः जिम्मेदारी दे दी। एक ही बाबू पर विशेष मेहरबानी से अफसरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। वहीं, स्टाफ की कमी का बहाना बनाने वाले अफसरों के दावे की भी पोल खुल रही है। दूसरी तरफ जिला प्राशासन के जिम्मेदार खामोशी की चादर ओढ़े बैठे हैं।
बीते वर्ष अलीगंज में हजारों कुंतल बाजरा की खरीद हुई थी। अलीगंज में सरकारी गोदाम पर बनाए गए क्रय केंद्र पर बिना अधिकार के लिपिकीय संवर्ग का एक कर्मचारी बाजरा की खरीद करता रहा। अफसरों की मेहरबानी से एक बाबू ही अधिकारी की भांति पूरे केंद्र का संचालन करता रहा और बिना किसी खौफ के लाखों के वारे-न्यारे किए। विभागीय सूत्रों का कहना है कि बाबू को किसी भी केंद्र का प्रभारी नहीं बनाया जा सकता है। क्रय केंद्रों पर किसानों की उपज खरीदने का अधिकार सिर्फ एसएमआई ( सीनियर मार्केटिंग इंस्पेक्टर) को ही है। बाबू को खरीद केंद्र का प्रभारी बनाकर नियमों का उल्लंघन किया गया है। विभागीय नियमों के बावजूद भी बाबू को क्रय केंद्र प्रभारी बनाकर क्रय केंद्र प्रभारी की कुर्सी सौंपने वाले जिम्मदारों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है।
विभागीय सूत्रों का कहना कि ऑफिस में और भी कई बाबू तैनात हैं, परन्तु परन्तु अफसरों की मेहरबानी एक ही बाबू बरस रही है। जबकि खरीद गोलमाल में फंसे कर्मचारी की संदिग्ध कार्यप्रणाली पर पहले भी उंगली उठती रही हैं। विभागीय अफसरों ने बीते वर्ष भी खरीद की जिम्मेदारी दी और इस वर्ष भी दो केंद्रों का प्रभारी बनाकर नियमों को हवा में उड़ा दिया। बाबू को उसी ब्लाक अलीगंज के साथ साथ जैथरा में भी खरीद की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे अफसरों की मंशा पर भी सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों का कहना कि क्रय केंद्र प्रभारी बनाए गए बाबू की नजदीकी रिश्तेदारी धुमरी में है।
बाजरा खरीद में बड़े पैमाने पर हुई धांधली
जिले में बीते वर्ष हुई बाजरा खरीद में जमकर गोलमाल हुआ। अलीगंज में हुई खरीद का खुलासा हुआ, तो डीएम प्रेमरंजन सिंह ने जांच बैठा दी। डीएम ने एएसडीएम वेदप्रिय आर्य को जांच सौंपी दी, लेकिन इतने बड़े गोलमाम की जांच आज तक किसी भी नतीजे नहीं पहुंच पाई है। जिससे गोलमाल के सिंडिकेट से जुड़े लोग बेखौफ हैं।
तहसील से जारी हुईं थी फर्जी फर्द
बाजरा खरीद गोलमाल में हर किसी ने रुपयों के वारे-न्यारे किए। जिन किसानों के नाम पर एक बिस्वा जमीन तक नहीं थी, उन किसानों ने 100-100 कुंतल बाजरा पैदा कर क्रय केंद्र पर बेच दिया। सूत्रों का कहना है कि ऐसे किसानों की फर्द तहसील में ही तैयार की गईं थी और उनके रजिस्ट्रेशन किए गए। फर्द तैयार करने में तहसील के एक कर्मचारी की मुख्य भूमिका रही है।