धोखाधडी में बैंक मैनेजर सहित 11 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

Fir-सुरीर थाने में किसान ने दर्ज कराई है संगीन धाराओं में एफआईआर
– ग्राम कराहरी की कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा है मामला

मथुरा। एक किसान से बैंक मैनेजर सहित 11 लोगों के खिलाफ थाना सुरीर पर धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, 504, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराया है। मामला ग्राम कराहरी की कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी है। सुनील कुमार पुत्र भरत सिंह निवासी ग्राम कराहरी हाल निवासी डैंपियर नगर थाना कोतवाली मथुरा ने सहायक निबंधक सहकारिता विभाग मथुरा, कार्यपालक अधिकारी बैंक मथुरा, मैनेजर सहकारी बैंक मांट, एसडीओ मांट सहकारिता विभाग मांट, सचिव सहकारी समिति कराहरी, एसडीओ मांट सहकारिता विभाग मांट, एकाउंटेंट सहकारी समिति कराहरी, खाद्य प्रभारी सह समिति कराहरी के अलावा तीन नामजद लोगों रामनाथ, रामसेवक शर्मा तथा ओमप्रकाश को रिपोर्ट में आरोपित किया है।

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इन लोगों पर कूटरचित दस्तावेजों से किसान के नाम पर 96 हजार 585 रुपये का लोन निकालने और उसे जमा नहीं करने का आरोप है। दर्ज कराई रिपोर्ट में सुनील कुमार ने आरोप लगाया है कि जिला सहकारी बैंक लिमिटेड को शखा मांट के प्रबंधक एवं सचिव सहायक सहकारी समिति कराहरी ने कब किस प्रकार और क्यों समिति का सदस्य बनाया या नहीं बनाया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि सहकारी समिति के कर्मचारियों की ओर से उससे समिति का सदस्य बनने के लिए संपर्क किया गया था लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।

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इसके बाद उसे सदस्य बनाया गया या नहीं इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। इस के बाद आरोपितों ने सुनील कुमार के खिलाफ षड्यंत्र से फर्जी कागजात तैयार कर वर्ष 2012 और 2013 में न सहकारी समिति से ऋण लिया तथा उसे जमा भी किया। 2014 में एक बार फिर 96585 रुपये का ऋण निकाला गया। इसके बाद वर्ष 2018 में सुनील कुमार को डाक से 12 लाख 58 हजार 40 रूपये का बकायेदार होने का नोटिस मिला। तब सुनील ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की। दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि तब मामले की जांच हुई और आरोपित अधिकारी और अन्य लोग जांच में दोषी पाए गए। जांच में यह भी सामने आया कि जिन दस्तावेजों का उपयोग किया गया उन पर बैंक मैनेजर सहित दूसरे किसी अधिकारी ने कोई हस्ताक्षर नहीं किए हैं और नहीं किसी अधिकारी ने इन्हें सत्यापित किया है। मामला उजागर होने पर अधिकारी किसान को निपटरा कर देने का लगातार आश्वासन देते रहे लेकिन न कोई कार्यवाही हुई और नहीं मामले का निपटारा हुआ।

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