हंगामाः सौभरि वन की जमीन को लेकर किसान प्रशासन आमने सामने

Dharmender Singh Malik
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किसान बोले पीढि़यों से कर रहे हैं यहां खेती

प्रशासन जमीन को खादर की बात कर ले रहा कब्जा

दीपक शर्मा
अग्रभारत

 

मथुरा। वृंदावन के कालीदह क्षेत्र में गुरुवार को किसान और प्रशासन आमने सामने होते रहे। सरकार की महत्वाकांक्षी सौभरि वन प्रोजेक्ट के लिए जिला प्रशासन की टीम सुनरख गांव में जहांगीरपुर खादर की जमीन को कब्जे में लेने के लिए पहुंची। पुलिस, प्रशासनिक और वन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में खड़ी फसल को जोत कर समतल किया जा रहा था। इस की भनक लगते ही बडी संख्या में किसान परिवार महिला, बच्चों के साथ मौके पर पहुंच गए। फसल को नष्ट होता देख किसान उग्र हो गए और परिक्रमा मार्ग में वीआईपी रोड पर प्रदर्शन कर आगजनी और तोड़फोड़ कर दी। पुलिस ने बल प्रयोग कर किसानों को काबू किया। पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया। जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। हिरासत में लिए गए लोगों को पुलिस थाने ले आई। बताया जा रहा है कि थाने में किसान दंपति और उनके बेटे ने विषाक्त पदार्थ खाने का प्रयास किया, खबर लिखे जाने तक इस बात की किसी ने पुष्टि नहीं की। सुनरख, आटस और जहांगीरपुर खादर को मिलाकर 130 हेक्टेयर जमीन 10 वर्ष के लिए वन विभाग को दी गई है। गांव सुनरख के किसान इसका विरोध कर रहे हैं। सौभरि वन प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। वृंदावन के गांव सुनरख के पास 130 हेक्टेयर भूमि पर सौभरि वन विकसित किए जाने की योजना है। सिटी फाॅरेस्ट के रूप में इस क्षेत्र को विकसित किया जाना है। परियोजना का काम स्थानीय जिला प्रशासन, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण और वन विभाग द्वारा सामूहिक रूप से किया जा रहा है।

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किसानों का यह है आरोप
जिला प्रशासन की कार्यवाही का विरोध कर रहे किसानों का आरोप है कि प्रशासन मनमानी कर रहा है। प्रशासन बिना किसी नोटिस के उनकी खेती की जमीन का अधिग्रहण कर रहा है। वे कई पीढि़यों से इस जमीन पर खेती करते आ रहे हैं। अपने घर का पालन पोषण कर रहे हैं, लेकिन वन विभाग द्वारा इस जमीन को सरकारी जमीन बताया जा रहा है।

प्रशासन का यह है तर्क
वहीं प्रशासन का कहना है कि किसानों का विरोध गलत है। यह जमीन किसानों की नहीं है। इस जमीन पर किसान अवैध रूप से खेती कर रहे हैं। अवैध कब्जे को ही हटवाया जा रहा है। किसान जिस जमीन को लेकर विरोध कर रहे हैं वह खादर की जमीन है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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