बदायूं, उत्तर प्रदेश: नौकरी की तलाश में एक साधारण दवा विक्रेता रामबाबू पाल को करोड़ों रुपये का झटका लगा है। बदायूं के रहने वाले रामबाबू के नाम पर एक फर्जी फर्म बनाकर 27 करोड़ रुपये का कारोबार दिखाया गया, जिसके बाद उन्हें 4.82 करोड़ रुपये के सीजीएसटी नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। इस घटना ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है और पुलिस जांच में जुटी है।
ऑनलाइन जॉब ने फंसाया मुसीबत में
नौसेरा गांव के निवासी रामबाबू इंद्रा चौक स्थित एक मेडिकल स्टोर पर ₹10,000 की मासिक सैलरी पर काम करते हैं। अपनी एक साल की बेटी के बेहतर भविष्य के लिए वह एक अच्छी नौकरी की तलाश में थे। इसी दौरान, उन्होंने एक ऑनलाइन जॉब सर्च के दौरान अपने कुछ जरूरी दस्तावेज (आधार और पैन कार्ड) एक अनजान गिरोह को सौंप दिए। इसी का फायदा उठाकर जालसाजों ने उनके नाम पर एक फर्जी फर्म खड़ी कर दी और बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी को अंजाम दिया।
सीबीआई और पुलिस से लगाई मदद की गुहार
रामबाबू ने शुक्रवार को सेंट्रल जीएसटी कार्यालय और एसएसपी बदायूं को शिकायती पत्र देकर अपनी बेगुनाही साबित करने की गुहार लगाई। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति करोड़ों का व्यापार करने की नहीं है। सेंट्रल जीएसटी के कुछ अधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है, लेकिन जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, उन्हें इस मुश्किल दौर से गुजरना पड़ेगा।
27 करोड़ का स्क्रैप दिल्ली भेजने का शक
शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि बदायूं से करीब 27 करोड़ रुपये का स्क्रैप दिल्ली भेजा गया है। अधिकारियों को शक है कि जिन लोगों ने रामबाबू के दस्तावेज लिए थे, उन्होंने किसी स्थानीय व्यक्ति की मदद से फर्जी तरीके से सेंट्रल जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराया। इस फर्जीवाड़े में इस्तेमाल किया गया बैंक खाता भी नकली पाया गया है।
एसएसपी बदायूं ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच सीओ सिटी रजनेश उपाध्याय को सौंप दी है। अब देखना यह है कि पुलिस जांच में इस बड़े फर्जीवाड़े का असली मास्टरमाइंड कौन निकलता है।