अनुपस्थित अध्यापक का वेतन भ्रष्टाचार: उच्चाधिकारियों की चुप्पी

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अग्रभारत संवाददाता

आगरा:जनपद के ब्लॉक जगनेर स्थित प्राथमिक विद्यालय कासिमपुर के सहायक अध्यापक शैलेंद्र कुमार सिंह को अनुपस्थिति के बावजूद लगातार वेतन जारी होता रहा। यह भ्रष्टाचार सरकार के खजाने को चोट पहुंचा रहा है।

सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल

प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करती है। लेकिन ऐसे कारनामे सरकार की साख पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।

विवादित बिल बाबू

मूल रूप से नगर क्षेत्र में तैनात होने के बावजूद, विवादित बिल बाबू योगेंद्र कुमार को लगातार देहात क्षेत्र में तैनाती मिल रही है। उच्चाधिकारियों की अनदेखी से योगेंद्र कुमार के तत्कालीन कार्यकाल में शैलेंद्र कुमार सिंह को बिना विधालय जाए, घर बैठे वेतन मिलता रहा।

प्रधानाध्यापिका की आख्या को नजरअंदाज

प्रधानाध्यापिका द्वारा सहायक अध्यापक की अनुपस्थिति की आख्या को बिल बाबू द्वारा रद्दी की टोकरी में डलवा दिया गया।

लंबे समय तक अनियमित वेतन:

बताया जा रहा है कि सहायक अध्यापक को लंबे समय तक अनियमित रूप से वेतन मिला है। सरकार जहां शिक्षकों को विद्यालय में पढ़ाने पर वेतन देती हैं, वहीं शैलेंद्र कुमार सिंह को बिना पढ़ाए ही मजे से वेतन मिला।

उच्चाधिकारियों की चुप्पी

बीआरसी पर बीईओ की निगरानी में समस्त कार्य होते हैं। इसके बावजूद बीआरसी पर लगातार वेतन घोटाला होता रहा। उच्चाधिकारियों ने अभी तक दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी है।

बिल बाबू का रसूख

बिल बाबू के विभाग में रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दशकों से उसने अपने मूल तैनाती क्षेत्र में नौकरी नहीं की। देहात क्षेत्र की विभिन्न बीआरसी पर उसको तैनाती मिलती रही। खेरागढ़ बीआरसी पर तैनाती के दौरान एक शिक्षिका का अनियमित तरीके से चयन वेतनमान जारी करने की भी शिकायत उसके खिलाफ हो चुकी है।

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