आगरा में अधिवक्ताओं का आक्रोश: लाठी चार्ज के खिलाफ जनमंच का प्रदर्शन

MD Khan
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आगरा में हाईकोर्ट खंडपीठ की स्थापना की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने फिर से सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। 26 सितंबर को, 2001 में हुए लाठी चार्ज की वर्षगांठ पर, अधिवक्ताओं ने सरकार की अर्थी जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया।

आगरा । जनमंच ने 2001 में अधिवक्ताओं पर हुए बर्बर लाठी चार्ज के विरोध में एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम आगरा सिविल कोर्ट परिसर में संपन्न हुआ, जहां अधिवक्ता एकजुट होकर सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए।

 2001 की घटना की पुनरावृत्ति

1966 से अधिवक्ता जस्टिस जंसथत सिंह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आगरा में हाईकोर्ट खण्डपीठ की स्थापना की मांग को लेकर निरंतर आंदोलन कर रहे हैं। 26 सितंबर 2001 को बिना किसी अनुमति के पुलिस ने निहत्थे अधिवक्ताओं पर लाठी चार्ज किया था, जिसमें सैकड़ों अधिवक्ता घायल हुए थे। इस घटना ने अधिवक्ताओं के लिए एक काला दिन बना दिया और तब से जनमंच हर साल इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाता आ रहा है।

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 मार्च और अर्थी जलाना

प्रदर्शन करते हुए अधिवक्ता

जनमंच द्वारा आयोजित इस वर्ष के कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने गेट नं. 2 पर एकत्रित होकर प्रभात फेरी निकाली और मानव श्रृंखला बनाई। इसके बाद, विरोध स्वरूप एक अर्थी तैयार की गई, जिसे लेकर अधिवक्ता कलेक्ट्रेट की ओर बढ़े। उन्होंने “राम नाम सत्य है”, “वी वान्ट हाईकोर्ट”, और “अधिवक्ता एकता जिन्दाबाद” जैसे नारों के साथ मार्च किया।

जब वे अर्थी को जलाने के लिए गेट नं. 1 पर पहुंचे, तो वहां भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद था। अर्थी के दहन को लेकर पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच खींचतान हुई, जिसमें कुछ देर के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई। अंततः, अधिवक्ताओं ने चिता को जलाया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

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अधिवक्ताओं का एकजुटता

प्रदर्शन के समापन के बाद, अधिवक्ताओं ने एक बैठक की जिसमें यह निर्णय लिया गया कि वे हाईकोर्ट खण्डपीठ आगरा के अधिकार को लेकर कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि आगरा में हाईकोर्ट खण्डपीठ की स्थापना के लिए प्रस्ताव पारित किया जाए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जनमंच के अध्यक्ष चौ. अजय सिंह ने की, और संचालन पवन कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में आगरा एडवोकेट एसोसियेशन के प्रमुख सदस्य भी मौजूद थे, जिन्होंने इस आंदोलन का समर्थन किया।

ये रहे प्रदर्शन में शामिल

कार्यक्रम में मुख्य रूप से आगरा एडवोकेट एसोसियेशन के महामंत्री फूल सिंह चौहान, सत्येन्द्र कुमार यादव, चौ० धर्मवीर सिंह, श्याम सुन्दर उर्फ प्रशान्त सिंह, राजेन्द्र सिंह सिकरवार, शिवराम चौहान, विजय बघेल, राहुल सविता, सुरेन्द्र सिंह बाकरे, नारायन सिंह बघेल, राजीवकान्त गौतम, चौ० धर्मवीर सिंह, खेल सिकरवार, अमर सिंह कमल, चौ० विशाल सिंह, सतीश शाक्य, शिव कुमार सैनी, हर्देश कुमार यादव, उदयवीर सिंह, शिव सिंह राघव, अजयदीप उर्फ अज्जू, धर्मवीर सिह अहिरवार, महेश कुमार गौतम, शमी, कुनाल शर्मा, सुरेन्द्र सिंह धाकरे, सुरेन्द्र सिंह, वेद प्रकाश, कृष्ण मोहन शर्मा, अर्जुन शर्मा, अंकित कुमार, शुभम शर्मा, विक्रम सिंह राना, सुनील कुमार बंसल, बंगाली शर्मा, सत्यप्रकाश सक्सैना, राजकुमार, सत्यप्रकाश शर्मा, छोटे लाल, चन्द्रभान सिंह निर्मल आदि उपस्थित रहे।

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जनमंच का यह प्रदर्शन न केवल 2001 की घटना की याद दिलाता है, बल्कि अधिवक्ताओं की एकजुटता और उनके अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। अधिवक्ताओं का यह संघर्ष जारी रहेगा, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।

 

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